वाराणसी l भारत में हर वर्ष जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है l बाल दिवस के दिन विद्यालयों में अनेक कार्यक्रम का आयोजन होता है जिसमें खेलकूद वाद विवाद मनोरंजन आदि के साथ-साथ छात्र-छात्राओं द्वारा तरह-तरह की दुकानें भी लगाई जाती हैं जिससे बच्चे खरीदारी का लुत्फ भी उठाते हैं l विद्यालयों में एक साथ इकट्ठा हुए बच्चों को खुशी मनाते हुए देख ऐसा लगता है कि जैसे अनेक फूलों को एक माला में पिरो दिया गया हो l
बाल दिवस का इतिहास
भारत में पहली बार बाल दिवस साल 1956 में मनाया गया था l 1964 में पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के पहले तक हिंदुस्तान में बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता था लेकिन बच्चों के प्रति उनके प्यार को देखते हुए संसद में प्रस्ताव लाकर 20 नवंबर की जगह 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाने लगा l इस दिन कोई सार्वजनिक अवकाश नहीं होता है l
कौन थे पंडित जवाहरलाल नेहरू l
पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे जिनका जन्म 14 नवंबर 1889 मैं इलाहाबाद के एक समृद्ध परिवार में हुआ उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू और माता का नाम स्वरूपरानी था l जवाहरलाल नेहरू को गुलाब के फूल बहुत ही अधिक प्यारे थे इसी से वह हमेशा अपनी जेब में गुलाब का एक फूल लगाए रहते थे l
शिक्षा
जवाहरलाल नेहरू को दुनिया के बेहतरीन स्कूल और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला था l उन्होंने अपने स्कूली शिक्षा हैरो और कॉलेज की शिक्षा त्रिनिटी कॉलेज, लंदन से पूरी की थी उन्होंने अपने लॉ की डिग्री कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की l हैरो और कैंब्रिज में पढ़ाई कर 1912 में नेहरू जी ने बार-एट-ला की उपाधि ग्रहण की l
योगदान
पंडित जवाहरलाल नेहरू एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अंग्रेजों से भारत को आजाद करने के लिए काफी लड़ाइयां लड़ी 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में नेहरू जी 9 अगस्त 1942 को मुंबई में गिरफ्तार हुए और अहमदनगर जेल में रहे जहां से 15 जून 1945 को रिहा किए गए l नेहरू ने पंचशील का सिद्धांत प्रतिपादित किया और 1954 में भारत रत्न से नवाजे गए l उन्होंने अनेक राष्ट्रों को संगठित किया और उनका नेतृत्व भी किया l
पंडित जवाहरलाल नेहरू के बच्चों के प्रति विचार l
पंडित जवाहरलाल नेहरू को बच्चों से असीम प्रेम था वह कहीं भी बच्चों को देखते तो तुरंत रुक जाते और उनके साथ समय व्यतीत करते उनका मानना था कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं उनके जैसा निर्मल कोमल कोई नहीं इसीलिए वह हमेशा कहते थे कि भगवान ने हमें जैसे भी बच्चे दिए हैं हमें उसे स्वीकार ना चाहिए और खुशी से रखना चाहिए क्योंकि बच्चों को हम अपनी इच्छा अनुसार नहीं बना सकते l
Posted On:Sunday, November 14, 2021