ताजा खबर
आज का इतिहास: 16 अप्रैल को हुआ था चार्ली चैपलिन का जन्म, जानें अन्य बातें   ||    एक मंदिर जो दिन में दो बार हो जाता है गायब, मान्यता- दर्शन मात्र से मिलता मोक्ष   ||    फैक्ट चेक: कानपुर में हुई युवक की पिटाई का वीडियो 'ब्राह्मण पर पुलिसिया अत्याचार' के गलत दावे के साथ...   ||    वानखेड़े स्टेडियम में प्रदर्शन के बाद धोनी ने युवा प्रशंसक को मैच बॉल गिफ्ट की   ||    फैक्ट चेक: मंदिर से पानी पीने के लिए नहीं, फोन चोरी के शक में की गई थी इस दलित बच्ची की पिटाई   ||    Navratri 2024: नवरात्रि के 7वें दिन करें सात उपाय, नौकरी और कारोबार में मिलेगी सफलता   ||    यूपीएससी रियलिटी चेक: उत्पादकता, घंटे नहीं, सबसे ज्यादा मायने रखती है; आईएएस अधिकारी का कहना है   ||    Breaking News: Salman Khan के घर के बाहर हुई फायरिंग, बाइक सवार 2 हमलावरों ने चलाई गोली, जांच में जु...   ||    चुनाव प्रचार के दौरान राहुल ने लिया ब्रेक, अचानक मिठाई की दुकान पर पहुंचे, गुलाब जामुन का उठाया लुत्...   ||    13 अप्रैल: देश-दुनिया के इतिहास में आज के दिन की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ   ||   

छत्तीसगढ़ का मोहनजोदड़ो ‘मदकू द्वीप’

रायपुर, 26 अप्रैल । छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में नदी की दो धाराओं के बीचों-बीच एक मनोरम स्थल है, जिसका नाम है- मदकू द्वीप। यह एक सुंदर पर्यटन स्थल है। लेकिन, इसकी पहचान धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल के रूप में भी है।
यहां पुरातात्विक गरिमा के अवशेष मिले हैं। यह भी मान्यता है कि मुंडकोपनिषद की रचना यही हुई थी। यह भारतवर्ष का एक मात्र स्थान है, जहां 11 स्मार्तलिंग मिले हैं। यहां शंकराचार्य ने पंचायतन मंदिर की प्रथा शुरू की थी। शैव, वैष्णव, शाक्त, गणपत्य एवं अघोर पंथ के उपासक देवताओं को एक ही जगह स्थापित किया था, जिन्हें स्मार्तलिंग कहते हैं।
निषाद बहुल आबादी वाले मदकू द्वीप में विगत 108 वर्षों से मसीही समाज फरवरी महीने में मसीही मेला का आयोजन करता है। राजधानी रायपुर से बिलासपुर हाईवे पर 80 किलोमीटर दूर बैतलपुर नामक गांव है। यहां से मदकू द्वीप जाने के लिए रास्ता है। बिलासपुर जिले के बैतलपुर से चार किलोमीटर पहले सरगांव के पास शिवनाथ नदी ने उत्तर एवं उत्तर पूर्व दिशा की दो धाराओं में बैठकर मदकू द्वीप का निर्माण किया है।
यहां 10वीं एवं 11वीं सदी की सभ्यता के रहस्य छिपे पड़े हैं। इस हिसाब से यह द्वीप छत्तीसगढ़ का मोहनजोदड़ो है। वर्ष 1955 में जब यहां पुरातत्व विभाग की मदद से खुदाई की गई तो 19 मंदिरों के भग्नावशेष और कई प्रतिमाएं मिलीं। जिनमें छह शिव मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, 11 स्मार्तलिंग तथा कई पुरातात्विक महत्व की चीजें मिलीं। इस द्वीप पर कछुए की पीठ की आकार जैसी जगह पर आधा दर्जन मंदिर मिले हैं, जिसे अति पवित्र माना जा रहा है।
पुरातत्वविद व इतिहासकारों का मत है कि विष्णु पुराण में जिस मदकू द्वीप का उल्लेख किया गया है, वह यही है। आध्यात्मिक प्रवृत्ति वाले, पुरातत्व विशेषज्ञ व इतिहासकार प्रोफेसर डॉ विष्णु सिंह ठाकुर के अनुसार यहीं पर मंडूक ऋषि ने मुंडकोपनिषद की रचना की है। ‘सत्यमेव जयते’ इसी महानीति के प्रथम खंड का मंत्र है।
10वीं एवं 11वीं शताब्दी में रतनपुर के कलचुरी शासक यहां अनुष्ठान करते रहे हैं। कलचुरी कालीन नृत्य गोपाल की प्रतिमा भी यहां मिली है तथा धूमेश्वर नामक जलहरी भी यही है, जहां से पानी का निकास होता है। मदकू द्वीप के इतिहास और पुरातत्व को सर्वप्रथम प्रकाश में लाने का गौरव डॉ. विष्णु सिंह ठाकुर, पंडित कृपाराम गौराहा और छत्तीसगढ़ प्रांत इतिहास संकलन समिति को जाता है। इसके उत्खनन की पहल संघ के वरिष्ठ प्रचारक  शांताराम सर्राफ ने की और उन्होंने समय-समय पर इसका निरीक्षण भी किया।

इस द्वीप के उत्तरी छोर पर शिवनाथ नदी की दोनों धाराओं का संगम है, जिसके पश्चात यह नदी उत्तर-पूर्व वाहनी हो जाती है। यही तथ्य इसके धार्मिक महत्व को बढ़ाता है, क्योंकि ऐसी नदियां सर्वाधिक पवित्र मानी जाती हैं। यहां की भौगोलिक संरचना, सिरहुट और पाश के सदाबहार वृक्षों की प्रधानता के कारण पूरे वर्ष सैलानियों का आना-जाना बना रहता है। वर्ष में दो बार आयोजित होने वाले धार्मिक मेलों के अतिरिक्त सावन, कार्तिक और चैत मास के शुभ अवसर पर स्थानीय जन-समुदाय यहां पर धार्मिक और आध्यात्मिक समागम करते हैं।
लगभग 55 किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस दीप के नामकरण को लेकर कहा जाता है कि वस्तुतः यह शब्द मांडुक्य या मंडूक का अपभ्रंश है। डॉ. विष्णु सिंह ठाकुर मानते हैं कि यह कभी मांडूक्य ऋषि की तपोस्थली थी और संभवत यहीं पर रहकर उन्होंने मुंडकोपनिषद की रचना की थी। इतिहासकार डॉक्टर रविंद्र नाथ मिश्र ने इसे छत्तीसगढ़ का एक महत्वपूर्ण जलदुर्ग कहा है। वन विभाग द्वारा इस आरक्षित क्षेत्र में काले मुंह वाले बंदर, सियार, नेवला तथा विभिन्न प्रजाति के सांप व पक्षी पाए जाते हैं।
इस द्वीप से प्रागैतिहासिक काल के लघु पाषाण उपकरण भी उपलब्ध हुए हैं। यहां प्राप्त दो प्राचीन शिलालेख से पता चलता है कि सुदूर अतीत से ही यहां मानव निवास करता आया है। मदकू द्वीप के सर्वेक्षण के दौरान छत्तीसगढ़ के पुरातत्व सलाहकार अरुण कुमार शर्मा को शिवनाथ नदी की घाटी से प्रस्तर युग के पाषाण उपकरण प्राप्त हुए थे। पहले भी मदकु द्वीप से लघु पाषाण उपकरण प्राप्त हो चुके हैं, जो यहां आदिमानव की उपस्थिति की सूचना देते हैं।
यहां पर उत्खनन के पूर्व ही दो प्राचीन शिलालेख जिसमें से एक तीसरी सदी ईस्वी की ब्राह्मी लिपि और दूसरी शंख लिपि में अंकित है और कलचुरी कालीन प्रतिमाएं, दो योनि पीठ, एक-एक नृत्य गणेश, उपासक, नंदी, योद्धा की प्रतिमा सहित कई महत्वपूर्ण पुरातात्विक अवशेष मिल चुके हैं। द्वीप के उत्खनन से बलुआ पत्थर से निर्मित 19 प्राचीन मंदिरों के भग्नावशेष मिले हैं। इनमें से छह शिव मंदिर, 11 स्मार्तलिंग मंदिर और उमा महेश्वर व लक्ष्मी नारायण का मंदिर शामिल है।

पहले यह बिलासपुर जिले में आता था। पर, अब यह नवगठित मुंगेली जिले का प्रथम पुरास्थल बन गया है। स्थानीय लोग इसे केदार दीप या फिर हरिहर क्षेत्र के रूप में मान्यता देते हैं। हालांकि ऐसा कोई पुरातत्व प्रमाण नहीं मिला है। प्राप्त पुरातत्व के साक्ष्यों से यह पता चलता है कि यहां वैष्णो और शैव संप्रदाय के लोग मिल-जुलकर आस्था का विकास कर रहे थे।
बहुतायत में स्मार्तलिंग का पाया जाना यह सिद्ध करता है कि यहां पर पंच उपासना पद्धति प्रचलन में रही। मदकू द्वीप से भी प्राप्त सभी स्मार्तलिंग में पांच पिंडों का अंकन है। इसकी प्रमुख विशेषता यह है कि इसके चारो कोनों पर शिवलिंग जैसी संरचना है, जिसपर सर्प लिपटे हुए हैं।

पुरातत्व विशेषज्ञ डॉक्टर एसएन यादव और अतुल कुमार प्रधान ने अनुमान लगाया है कि कलचुरी शासक शंकराचार्य के वेदांत और एकेश्वरवाद मत से प्रभावित थे। मदकू द्वीप उत्खनन के निर्देशक प्रभात कुमार सिंह ने बताया है कि इस द्वीप के उत्खनन से सती प्रथा के प्रमाण मिले हैं। यहां से प्राप्त प्रागैतिहासिक प्रस्तर उपकरणों से भी मांडव ऋषि की संबद्धता की पुष्टि होती है।
यदि मध्य-पूर्व के आसपास के गांवों के चिन्हित जगहों की खुदाई की जाए तो निश्चित ही ऐसे पुरातात्विक सबूत मिलेंगे, जिनसे यह साबित होगा कि इस क्षेत्र में सुदूर अतीत से ही सभ्यता का विकास हो चुका था।

Posted On:Monday, April 26, 2021


बनारस और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. banarasvocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.