वाराणसी, 23 अप्रैल। वाराणसी में बेकाबू हो चले कोरोना संक्रमण के कारण अस्पतालों में गहराये आक्सीजन संकट को लेकर जिला प्रशासन ने समाजसेवी संगठनों से सहयोग की अपील की है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट में इस बार 99 प्रतिशत मरीज़ों को ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ रही है। ऐसे में ऑक्सीजन की किल्लत लगातार बनी हुई है।
सर्किट हाउस में शुक्रवार को जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने मीडिया के सामने जिले में आक्सीजन संकट के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पूरे शहर में कुल 43 अस्पतालों में 1600 मरीज़ ऑक्सीजन के साथ स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। वाराणसी जिले में एक भी ऑक्सीजन प्लांट नहीं है। जिले में ऑक्सीजन की आपूर्ति चंदौली और मिर्ज़ापुर जनपद से पूरी की जा रही है।
उन्होंने बताया कि शहर में ऑक्सीजन की किल्लत को दूर करने के लिए लगातार प्रयास हो रहा है। चंदौली से 05 और एक रामनगर औद्योगिक केंद्र में बंद ऑक्सीजन प्लांट मेडिटेक के मालिक के प्रयासों से शुरू करवाया गया है। गुरूवार की देर रात एक टैंकर बोकारो से ऑक्सीजन लेकर आया है।
पीएम केयर फंड से बीएचयू में बन रहा एक हजार बेड का अस्पताल
जिलाधिकारी ने बताया कि पीएम केयर फंड से डीआरडीओ बीएचयू के एम्फीथियेटर मैदान में जर्मन हैंगर तकनीक से 1000 बेड का ऑक्सीजन युक्त अस्पताल बना रहा है। इस अस्पताल की ऑक्सीजन की आवश्यकता रोज़ाना बोकारो से मंगाकर की जायेगी। इसके अलावा इसके संचालित होने के साथ ही शहर में बेड की किल्लत कम हो जाएगी।
जिलाधिकारी ने बताया कि इस एक हज़ार बेड के अस्पताल के निर्माण का कार्य डीआरडीओ ने शुरू कर दिया है। इसके सीवर और पानी का कार्य नगर निगम, बिजली का कार्य पूर्वांचल वितरण निगम, मैन पावर का काम बीएचयू और मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय, लॉन्ड्री का कार्य बीएचयू द्वारा संचालित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बीएचयू से इसकी एनओसी मिल चुकी है। एडीएम सिटी और डीसीपी को इसका नोडल बनाया गया है। इसका पूरा खर्चा 'पीएम केयर फन्ड' से उठाया जा रहा है। इसके अलावा डीआरडीओ महामारी की विभीषिका समाप्त होने के बाद सिर्फ जर्मन हैंग हटाएगा बाकी के सभी संसाधन प्रदेश सरकार के ज़िम्मे सौंप देगा । जो वाराणसी के अस्पतालों के काम आएगा।
दूसरी लहर में पाजिटिव मामले और मुत्यु दर भी बढ़ रही
जिलाधिकारी ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित मामले बहुत ज़्यादा आ रहे हैं। पॉज़िटिव रेट इस बार 33 से 34 प्रतिशत हो गया है। इस बार मरीज के इलाज में ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ रही है। जिलाधिकारी ने बताया कि इस बार मृत्यु दर भी बढ़ी है। जिसकी वजह से महाश्मशान घाटों पर दबाब बढ़ा है। शहर के दो श्मशान घाट पर अन्तिम संस्कार का दबाव कम करने के लिए सामने घाट पर वैकल्पिक व्यवस्था नगर निगम ने किया। इस पर भी लोगों का एतराज़ शुरू हुआ कि रिहायशी इलाका है। लोग कैसे रहेंगे। वहां तो हरिश्चंद्र घाट से ज़्यादा घना रिहायशी इलाका नहीं है । इसके अलावा सामान्य मौतें और अन्य जनपदों से आने वाले शवों की वजह से भी घाटों पर लाशों के अन्तिम संस्कार का दबाब बढ़ा है।
कोविड मरीजों के भोजन और अन्य व्यवस्था में आगे आये समाजसेवी
जिलाधिकारी ने कोरोना संक्रमण के भयावह दौर में पीड़ितों की सहायता के लिए समाजसेवी संगठनों और धनाढ़य लोगों को आगे आने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि गरीब कोरोना संक्रमित मरीजों तक भोजन पहुंचाने,शव वाहन, उन्हें अस्पताल पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस या अन्य वाहन, अस्पतालों के बाहर पेयजल की व्यवस्था, पीड़ितों के घर राशन आदि का इंतजाम करने के लिए सामाजिक संस्थाओं के सााि राजनीतिक दल भी आगे आये। अगर कोई संगठन सरकारी दवाइयों को पीड़ितों तक पहुंचाने के लिए कार्य करना चाहता है तो उसे प्रशासन का पूरा सहयोग मिलेगा।
Posted On:Friday, April 23, 2021