नई दिल्ली, 8 सितंबर (न्यूज हेल्पलाइन) भारत प्राचीन समय से ही अपने सूती वस्त्रों के निर्माण के लिए विख्यात रहा है। भारत में बने सूती वस्त्रों की मांग पूरे विश्व में होती थी। मगर समय और तकनीक के बढ़ने के साथ देश का वस्त्र उधयोग पिछड़ता चला गया। विश्व के वस्त्र उधयोग में भारत का स्थान अब काफी नीचे चला गया है। उसी खोए गौरव को फिर से पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने टेक्सटाइल्स उधयोग के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना को मंजूरी दी है।
इस बारे में बात करते हुए केंद्रीय केंद्रीय मंत्री I & B और युवा मामले और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने टेक्सटाइल्स के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना के तहत 5 वर्षों में 10,683 करोड़ रुपए का प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
ज्ञात हो कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृत्रिम रेशे (MMF) परिधान, MMF फैब्रिक्स तथा टेक्निकल टेक्सटाइल के 10 खंडों या उत्पादों के लिए 10,683 करोड़ रुपए की PLI योजना को मंजूरी दी है। कपड़ा क्षेत्र के लिए PLI योजना बजट 2021-22 में 13 क्षेत्रों के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपए के की गई घोषणाओं का ही हिस्सा है।
विदित हो कि इसी प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के बारे में बात करते हुए केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि अब तक, हमने मुख्य रूप से सूती वस्त्र पर ध्यान केंद्रित किया है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय कपड़ा बाजार का 2/3 हिस्सा मानव निर्मित और तकनीकी वस्त्रों का है। इस पीएलआई योजना को मंजूरी दी गई है ताकि भारत भी मानव निर्मित फाइबर के उत्पादन में योगदान दे सके।
ज्ञात हो कि इस भारी-भरकम फंड वाले योजना के द्वारा भारत में उन वस्त्रों के उत्पादन पर विशेष ध्यान केंद्रित करेगा, जिसकी पूरे विश्व और इंडस्ट्रीज में सबसे ज्यादा डिमांड है। इस योजना के तहत तकनीकी वस्त्रों के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए इस फंड का इस्तेमाल किया जाएगा। इस प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के द्वारा टेक्सटाइल्स के निर्यात को भी बढ़ावा दिया जाएगा।