नई दिल्ली, 16 दिसंबर (न्यूज़ हेल्पलाइन) केन्द्रीय विद्युत एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर के सिंह ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी दी कि भारत सरकार ने विगत कुछ वर्षों में बिजली की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। इन कदमों से बिजली की कीमतों में वृद्धि को रोकने में मदद मिली है।
सरकार द्वारा बिजली की कीमतों को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के तहत भारत सरकार ने आत्मानिर्भर भारत अभियान के एक भाग के रूप में पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) लिमिटेड और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (आरईसी) लिमिटेड के माध्यम से एक लिक्विडिटी इन्फ्यूजन स्कीम (एलआईएस) की घोषणा की। इस हस्तक्षेप के तहत, आरईसी और पीएफसी डिस्कॉम को 10 साल तक के विशेष दीर्घकालिक संक्रमण ऋण प्रदान कर रहे हैं। विगत 7 दिसंबर तक, पीएफसी और आरईसी ने विभिन्न बिजली वितरण कंपनियों को 1,03,387 करोड़ रुपए का वितरण किया है। इससे डिस्कॉम्स के लेट पेमेंट सरचार्ज का बोझ कम हुआ है।
केंद्र ने संसद में आगे बताया कि सीईआरसी ने विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 107 के तहत भारत सरकार द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार इस आशय का एक आदेश जारी किया था कि यदि डिस्कॉम द्वारा उत्पादन कंपनियों और अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन को भुगतान में कोई देरी होती है। लाइसेंसधारी बिल प्रस्तुत करने की तिथि से 45 दिनों के बाद 24.03.2020 और 30.06.2020 के बीच आते हैं, संबंधित वितरण कंपनियां 12% प्रति वर्ष की कम दर पर एलपीएस के साथ भुगतान करेंगी।
केंद्र ने संसद में आगे बताया कि सरकार ने 22.02.2021 को अधिसूचित बिजली (विलंब भुगतान अधिभार) नियम, 2021 ने विलंबित भुगतान अधिभार की दर को कम कर दिया है। इससे डिस्कॉम का वित्तीय बोझ कम हो रहा है। अपने कदमों के बारे में सरकार ने आगे बताया कि डिस्कॉम को भी केंद्रीय उत्पादन स्टेशनों, जिन्होंने 25 साल पूरे कर लिए हैं, के बिजली खरीद समझौते से बाहर निकलने की अनुमति दे दी है। इससे डिस्कॉम की बिजली खरीद के लिए दबाव औरलागत में कमी आएगी।