नई दिल्ली, 4 मार्च (न्यूज़ हेल्पलाइन) यूक्रेन और रूस के मध्य जारी युद्ध से सिर्फ यही दो देश नहीं बल्कि पूरे विश्व पर प्रभाव पड़ रहा है, और जब तक युद्ध जारी रहेगा तब तक, या उसके महीनों बाद तक असर पड़ता रहेगा। भारत जैसे आयात आधारित अर्थव्यवस्था पर इसका व्यापक असर पड़ रहा है। भारत में इस युद्ध के कारण वृहत स्तर पर महंगाई (Inflation) बढ़ने की संभावना दिख रही है। गैस और पेटोलियम कीमतों में वृद्धि तो होने भी लगी हैं। संभावना जताई जा रही है कि एक LPG सिलेंडर की कीमत 1500 रुपए के पार जा सकती है। इसके अलावे भी अन्य वस्तुओं के मूल्य पर इसका असर दिखेगा। एक नमूना आज दिख भी गया जब स्टील की कीमतें (Steel prices) 5000 रुपए प्रति टन तक बढ़ गई है।
घरेलू इस्पात निर्माताओं ने हॉट रोल्ड कॉइल (एचआरसी) और टीएमटी बार की कीमतों में 5,000 रुपए प्रति टन तक की बढ़ोतरी की है क्योंकि रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो रही है। उद्योग के सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में कीमतों में वृद्धि की गई है और आने वाले हफ्तों में दोनों देशों के बीच संकट गहराने के साथ इसके और बढ़ने की उम्मीद है। सूत्रों ने तो यहां तक कहा है कि कीमतों में संशोधन के बाद, एक टन एचआरसी की कीमत लगभग 66,000 रुपए तक हो जाएगी, जबकि खरीदारों को टीएमटी बार लगभग 65,000 रुपए प्रति टन के हिसाब से मिलेंगे।
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (Ind-Ra) का मानना है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष से उत्पन्न होने वाले भू-राजनीतिक जोखिम खनिज ईंधन और तेल, रत्न और आभूषण, खाद्य तेल और उर्वरक जैसी वस्तुओं के लिए आयात बिल को अधिक बढ़ा देंगे क्योंकि भारत में इन महत्वपूर्ण वस्तुओं पर आयात निर्भरता है। परिणामस्वरूप, वित्त वर्ष 2022 में व्यापारिक आयात 600 बिलियन अमरीकी डालर को पार कर सकता है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर संघर्ष का तत्काल प्रभाव मुद्रास्फीति, चालू खाता घाटे में वृद्धि और रुपए के मूल्यह्रास के माध्यम से महसूस किया जाएगा। Ind-Ra के विश्लेषण से पता चलता है कि कच्चे तेल की कीमतों में 5 अमेरिकी डॉलर/बैरल की वृद्धि से व्यापार/चालू खाता घाटे में 6.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि होगी। महंगाई (Inflation) के एक और संकेत के रूप में डॉलर के मुकाबले भारतीय रूपए की कीमत ढाई महीने में सबसे कम हो गई, अर्थात आयात थोड़ा और महंगा (Inflation) हो गया।