नई दिल्ली, 30 जून 2021
RBI ने सभी बैंकों से सभी कंपनियों के उन करंट अकाउंट को छोड़ने और दूसरे बैंक में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है, जिनका एक्सपोजर रिजर्व बैंक की तरफ से निर्धारित सुविधा के कट-ऑफ से कम है। इन सुविधाओं में लोन, नॉन-फंड बिजनस जैसे गारंटी और डेलाइट ओवरड्राफ्ट भी शामिल हैं ।
रिजर्व बैंक ने इसे लेकर करीब 15 दिन पहले ही इस नए नियम की सूचना अभी बैंकों को भेजी थी । करीब एक साल के पहले रिजर्व बैंक ने इस दिशा में काम करना शुरू किया था। अगर ऐसा होता है बहुत सारे लुभावने ऑफर वाले करंट अकाउंट मल्टी नेशनल बैंकों से माइग्रेट होकर पब्लिक सेक्टर बैंकों और भारत के कुछ बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंकों के पास आ सकते हैं।
नए नियम के मुताबिक वह बैंक किसी कंपनी का करंट अकाउंट नहीं रख सकता है, जिसके पास कंपनियों को दीये जाने वाली तमाम सुविधाओं का 10 फीसदी भी ना हो । इन सुविधाओं में लोन, नॉन-फंड बिजनस जैसे गारंटी और डेलाइट ओवरड्राफ्ट या इंट्रा डे भी शामिल हैं। कई बैंको ने अपने करंट अकाउंट अपने ही पास बनाए रखने के लिए अपनी सुविधाओ को 10 फीसदी के कटऑफ से बढ़ाने की कोशिश में भी लगे हैं ताकि वह अपने बिज़नेस को बनाये रख सकते है।
कई बड़ी बैंक जैसे के भारतीय स्टेट बैंक, बैंको ऑफ़ बरोदा समेत कई पीएसयू बैंक यह मानते हैं कि नए नियम लागू होने के बाद काफी कुछ बदलेगा। उनका माना है कि गलत तरीके से कर्ज लेने वाली कंपनियों का अगर करंट अकाउंट और कलेक्शन अकाउंट कर्ज देने वाले बैंक के साथ होगा तो उसके लिए फंड्स को डायवर्ट करना मुश्किल होगा जिसकी वजह से कर्ज के एनपीए में तब्दील होने की गुंजाईश भी कम रहेगी ।