मुंबई, 22' मई - एल्गो ट्रेडिंग जिसे हम एल्गोरीध्मिक ट्रेडिंग या ऑटोमेटेड ट्रेडिंग भी कहते है। एल्गो ट्रेडिंग में ट्रेडिंग टर्मिनल को कंप्यूटर प्रोग्राम से जोड़ा और संचालित किया जाता है। एल्गो ट्रेडिंग द्वारा स्टॉक को खरीद या बेचने के सारे आदेश कंप्यूटर प्रोग्राम द्वारा दिये जाते है, ट्रेडर्स को अपने हाथों से कुछ भी करना नहीं होता। ट्रेडिंग के सारे निर्देश कंप्यूटर प्रोग्रामिंग द्वारा एक निर्धारित स्टॉक की कीमत, मार्केट इंन्डीकेटर, टेक्निकल इंडिकेटर्स या सेक्टर इंडिकेटर्स के आने पर कंप्यूटर सिस्टम द्वारा उसे क्रियाशील बनाया जाता है और आदेशानुसार स्टॉक को खरीद या बेचने का काम एक गति और सटीकता से किया जाता है ।
इसे एक उदहारण के साथ समझते है, मान लो के मार्केट में बहुत ही उतर चढाव वाला माहौल है। उस माहौल में आप को लगता है, की निफ़्टी और मिड कैप स्टॉक में छोटी अवधि के अच्छे निवेश के मौके मिल सकते है तो आप अपने एल्गो ट्रेडिंग सिस्टम को यह निर्देश दे सकते है की अगर आज निफ़्टी में ३ % से ज्यादा की गिरावट हो और मिड कैप इंडेक्स में ५ % की गिरावट के बाद; निफ़्टी के १० टॉप मार्केट कैपिटलाइजेशन वाले स्टॉक और मिड कैप के टॉप ५ मार्केट कैपिटलाइजेशन स्टॉक खरीद लिए जाये। उस दिन जैसे ही निफ़्टी में ३ % की और मिडकैप में ५ % की गिरावट होती है तो एल्गो ट्रेडिंग सिस्टम तुरंत ही निफ़्टी के १० टॉप स्टॉक और मिड कैप के टॉप ५ स्टॉक सिर्फ १ मिनट से भी कम समय में खरीद लेगा ।
भारतीय स्टॉक एक्सचैंजेस पर एल्गो ट्रेडिंग की शुरुवात २००८ से ही हुई है। अगर हम २०२१ में एल्गो ट्रेडिंग के आंकड़े देखे तो स्टॉक एक्सचेंज की कुल ट्रेडिंग में से एल्गो ट्रेडिंग द्वारा की जाती ट्रेडिंग का हिस्सा फ्यूचर और ऑप्शन में करीबन ५० % और कॅश में ३० % तक माना जाता है। ज्यादातर आम और नए ट्रेडरों को एहसास तक नहीं होता है की वह एक मशीन जो गणितीय आंकलन, गति और सटीकता में उससे कई गुना ज्यादा तेज और सतर्क है उससे उनका अनदेखा मुक़ाबला है ।