नई दिल्ली, 9 नवम्बर (न्यूज़ हेल्पलाइन) महाकुंभ फर्जी कोविड परीक्षण मामले के मुख्य आरोपी शरत पंत और उनकी पत्नी मल्लिका पंत को रविवार देर रात उनके नोएडा स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया। महीनों से फरार चल रहे दंपति रविवार की देर रात जब अपने घर पहुँचे तो पुलिस की विशेष टीम ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया।
धोखाधड़ी की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने इस मामले में मामला दर्ज करने के छह महीने बाद गिरफ्तारी की है।
दोनों पति-पत्नी मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज में भागीदार हैं, जिनके पास इस साल की शुरुआत में आयोजित महाकुंभ के दौरान तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के कोविड -19 परीक्षण का अनुबंध था।
पुलिस उप महानिरीक्षक योगेंद्र सिंह रावत जो हरिद्वार एसआईटी और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) के वरिष्ठ अधीक्षक का प्रभार भी संभालते हैं। रावत के अनुसार पुलिस को नोएडा में शरद और मल्लिका पंत के स्थान और आवाजाही के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली।
रावत ने सोमवार दोपहर हरिद्वार में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, “7 नवंबर और 8 नवंबर की दरमियानी रात को दोनों आरोपी कुछ सामान लेने के लिए नोएडा में अपने आवास बी-56, सेक्टर 48 पहुंचे थे लेकिन पूर्व सूचना के कारण जांच दल ने उन्हें पकड़ लिया। दोनो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और पुलिस फर्जी परीक्षण मामले में शामिल अन्य सहयोगियों के बारे में और खुलासे के लिए उनसे पूछताछ कर रही है।”
बता दें, महाकुंभ फर्जी कोविड-19 परीक्षण धोखाधड़ी जून में सामने आई जब फरीदकोट के एक निवासी ने अधिकारियों से शिकायत की कि उसे कभी भी परीक्षण नहीं किए जाने के बावजूद अपनी कोविड -19 रिपोर्ट एकत्र करने का संदेश मिला। शिकायत ने कुंभ के दौरान हरिद्वार में किए गए लगभग 1 लाख परीक्षणों की जांच शुरू कर दी।
17 जून को, हरिद्वार पुलिस ने फर्जी COVID परीक्षण मामले में मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज और दो निजी लैब जिसमें हिसार से नलवा लैब और दिल्ली से लालचंदानी लैब को बुक किया गया था।
मामले के सामने आने के बाद 18 जून को हरिद्वार पुलिस ने जांच में सहयोग के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया।
चार महीने के कुंभ मेले को इस साल एक महीने (1-30 अप्रैल) तक सीमित कर दिया गया था। लेकिन भक्तों ने महीनों तक हरिद्वार में विशेषज्ञों की चेतावनी के बावजूद कि यह कहते हुए कि भीड़ संक्रमण में वृद्धि कर सकती है। जबकि इसके बावजूद लगभग 91 लाख तीर्थयात्रियों ने 14 जनवरी से 27 अप्रैल तक गंगा में पवित्र डुबकी लगाई। जिसमें अप्रैल में कम से कम 60 लाख लोग शामिल थे जो महामारी की दूसरी लहर के साथ मेल खाता था। महाकुंभ उत्तराखंड में COVID-19 मामलों में एक प्रमुख स्पाइक के साथ हुआ। स्पाइक को देश भर से लाखों लोगों के हरिद्वार आने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद परीक्षण कम रहा। 1 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच, राज्य में कुल सक्रिय मामलों में 2392% की वृद्धि दर्ज की गई थी।
एसआईटी के जांच अधिकारी नरेंद्र कठैत ने कहा कि दंपति पर आईपीसी की धारा 188, 269, 270,420,467,468,471 और 120 (बी) और आपदा प्रबंधन अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था ।
इस मामले में एसआईटी द्वारा की गई यह दूसरी गिरफ्तारी है जुलाई में डेल्फ़िया प्रयोगशाला के मालिक आशीष वशिष्ठ को गिरफ्तार किया।
रावत ने कहा कि गिरफ्तारी से एसआईटी को मामले में बड़ी सफलता मिली है।
महाकुंभ हर 12 साल में मकर संक्रांति के बीच आयोजित किया जाता है जो आमतौर पर जनवरी के दूसरे सप्ताह के अंत में पड़ता है और चैत्र पूर्णिमा जो अप्रैल के अंतिम सप्ताह में मनाया जाता है।