भारत के Seven sisters नाम से मशहूर, उत्तर पूर्व भारत के 7 राज्यों में प्रमुख भूमिका निभाने वाले असम और मिजोरम के बीच का सीमा विवाद पिछले कुछ दिनों में काफी ज्यादा बढ़ गया है।
यह विवाद इतना बढ़ गया कि दर्जनों नागरिक घायल हो गए तो वहीं, असम के सुरक्षा बल के 6 जवानों की मौत भी हो गई। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री एक दूसरे पर सीमा नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं।
आपको बता दें कि मिजोरम पहले असम का ही "नामथा लुशाई हिल्स" नाम का एक जिला हुआ करता था, जिसे 1872 में असम अलग कर दिया गया था। इन दोनों राज्यों के बीच 165 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है, जिसका सर्वप्रथम निर्धारण 1875 में ब्रिटिशों द्वारा किया गया था। इस सीमा निर्धारण में मिज़ो समुदाय तथा लुशाई हिल्स का क्षेत्र भी तय किया गया था, जिस कारण मिजोरम इस सीमारेखा को मानते हुए अपनी औपचारिक सीमा मानता है।
कुछ ही समय बाद 1933 में एक नया संशोधन करते हुए दोनों राज्यों की सीमा रेखा का पुनः निर्धारण किया गया।इस बार के सीमा रेखा निर्धारण में मिज़ो समुदाय से राय ली गई और ना ही लुशाई हिल्स जैसा महत्वपूर्ण क्षेत्र तय किया गया, इस कारणवश असम तो इसे वैधानिक मान्यता देने लगा पर मिजोरम इस सीमा निर्धारण को सिरे से खारिज करने लगा।
दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद के निपटारे के लिए एक "नो मैन लैंड" क्षेत्र बनाया गया। अनुबंध यह हुआ कि इस क्षेत्र में दोनों ही राज्य किसी भी प्रकार की कोई गतिविधि नहीं करेंगे, पर हाल ही के दिनों में दोनों राज्यों द्वारा इस "नो मैन लैंड" क्षेत्र में किये जा रहे गतिविधियों के कारण यह विवाद इतना बढ़ गया। असम के दावे के अनुसार मिजोरम इस प्रतिबंधित क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य करने लगा जिसका विरोध असम ने किया और धीरे-धीरे यह विरोध प्रदर्शन भयंकर झड़प में बदल गई।
एक तरफ दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री हैं जो एक दूसरे पर ट्वीट का हमला कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ दोनों ही राज्यों के नागरिक और सुरक्षा बल के जवान हैं जो इस झगड़े में अपनी जान गवा रहे हैं।
ऐसा नहीं कि केवल मिजोरम का ही सीमा विवाद, असम के साथ चल रहा है, बल्कि 800 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा बनाने वाले अरुणाचल प्रदेश और 500 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा बनाने वाले नागालैंड का भी असम के साथ आए दिन कोई ना कोई सीमा विवाद बना रहता है
आपको बताते चलें कि वर्तमान समय में यह मुद्दा प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के संज्ञान में है और हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ इस संबंध में बैठक की। गौरतलब बात यह है कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी भारत की सात बहनों के प्रमुख राज्यों में सीमा रेखा निर्धारण जैसे विवाद क्यों बने हुए हैं और इन ज़मीनी विवादों का निपटारा आखिर कब तक हो पाएगा।