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सूरत में मेट्रो रेल परियोजना में 200 साल पुराना चर्च हो रहा प्रभावित, अल्पसंख्यको में आक्रोश

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Posted On:Friday, May 21, 2021

२१ मई - सूरत  -  कोरोना प्रकोप देश भर  में धीमा पड़ गया है अब धीरे धीरे स्थिति सामान्य होने की संभावना है इसी बीच सूरत मेट्रो परियोजना का काम फिर से तेजी पकड़ने लगा है। यहां शहर के हैरिटेज स्क्वायर चौक बाजार में बनने वाले अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन को लेकर बैरिकेडिंग कर जियोटेकिनिकल टेस्टिंग शुरू कर दी गई है। इसी चौक बाजार स्टेशन की जद में शहर का सबसे प्राचीन और सबसे पुराना क्रिस्ट चर्च का वजूद भी खतरे में पड़ गया है दरअसल इस चर्च के पीछे का हिस्सा परियोजना से प्रभावित होने जा रहा है। मेट्रो प्रशासन ने बुधवार रात इसको लेकर चर्च कमिटी से मिली और बात की और उन्हें बताया कि चर्च की जमीन और वहां बने कुछ स्ट्रक्चर इसके हिस्से टूटेंगे। इसको लेकर मुआवजे पर अभी बात नहीं बनी इसलिए दो से तीन मीटिंग और करने की कोशिश में मेट्रो प्रशासन है ताकि इसका समाधान हो सके लेकिन ठीक इसके उलट चर्च कमिटी और वहां रह रहे स्थानिक इसके खिलाफ हैं और सहमति नहीं जता रहे। 
 
इतना पुराना है चर्च अर्मेनियम चर्च के नाम से भी जाना जाता है-
 
16 वीं शताब्दी से, आर्मीनियाई के लोगों ने सूरत में एक महत्वपूर्ण व्यापारिक समुदाय का गठन किया।   सूरत उस समय के भारत का सबसे सक्रिय बंदरगाह था। सूरत के बंदरगाह शहर में बसरा (वर्तमान इराक) और बंदर अब्बास (वर्तमान ईरान में) से व्यापारी जहाजों के नियमित समुद्री वहन और आने-जाने के लिए यातायात हुआ करता था। अर्मेनियाई लोगों ने सूरत में दो चर्च और एक कब्रिस्तान बनाया।  इन्ही में से एक चर्च जिसे सीएनआई क्रिस्ट चर्च के नाम से जाना जाता है। यह शहर का सबसे पुराना चर्च है। चर्च का निर्माण वर्ष 1824 में हुआ जबकि इसका निर्माण वर्ष 1820 में शुरू हुआ था। 
 
चर्च के पास्टर का क्या है कहना -
 
इस चर्च के पास्टर उबाय भाब्रु ने बताया कि यहाँ चर्च और इसके आस पास लगभग 350 परिवार हैं जिनका इससे जुड़ाव है। यह शहर का सबसे पुराना चर्च है और शहर के हैरिटेज स्क्वायर के पास है। मेट्रो प्रशासन के अधिकारियो ने हमें बताया कि चर्च के पीछे का बना हुआ स्ट्रक्चर टूटेगा क्योंकि वहां मेट्रो का अंडरग्राउंड काम होगा। मुआवजे पर कोई बात नहीं हुई है जबकि हम अभी इस बात से सहमत नहीं है कि मेट्रो प्रशासन की शर्तो पर हम मान गए है।मेट्रो प्रशासन ने कहा है कि जो हिस्सा तोड़ेंगे उसे हम निर्माण पूरा होने के बाद बना देंगे लेकिन यह बात लिखित रूप से नहीं है। हमें अभी की चिंता है

 



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