लखनऊ, 15 जनवरी (न्यूज़ हेल्पलाइन) आगामी 10 फरवरी से देश के सबसे ज्यादा विधानसभा और लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव के लिए मतदान शुरू होने वाले हैं। इसके तहत सभी राजनीतिक पार्टियां जोर लगा रही हैं। कुछ पार्टियों के बीच गठबंधन हो रहे हैं, तो कुछ के बीच गठबंधन टूट रहे हैं।
इसी कड़ी में आज सुबह भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने आज सुबह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि उनकी पार्टी अखिलेश यादव के साथ आगे गठजोड़ में नहीं हैं। हालांकि, उनके बीच कोई राजनीतिक समझौता नहीं हुआ था, मगर उनकी नज़दीकी देखते हुए आगामी चुनावों के लिए गठजोड़ होता दिखाई दे रहा था। इन सिलसिले में विगत 13 जनवरी को भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने अखिलेश यादव से एक लंबी मुलाकात भी की थी।
विवाद आज सुबह तब शुरू हुआ जब भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके घोषणा की कि तमाम चर्चाओं के बाद आखिर में मुझे लगा कि समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव इस गठबंधन में दलितों को नहीं चाहते, उन्हें सिर्फ दलित वोट बैंक चाहिए। उन्होंने बहुजन समाज के लोगों को अपमानित किया, मैंने 1 महीने 3 दिन कोशिश की लेकिन गठबंधन नहीं हो सका।
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद के इन आरोपों पर आज दोपहर जवाब देते हुए समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि मैंने उन्हें 2 सीटें आवंटित की थी, लेकिन उन्हें (भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद) ने कुछ फोन किया और गठबंधन का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया।
ज्ञात हो कि विगत दिनों में भाजपा सहित कई पार्टियों के नेता सपा में शामिल हुए हैं, जिनमे से बहुत दलित नेता भी हैं। चूंकि भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद भले ही बहुत लंबे समय से दलितों के मसीहा बनने का प्रयास कर रहे हैं, मगर अभी भी वे राजनीतिक रूप से स्थापित नहीं हो पाए हैं। ऐसे में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आगामी यूपी विधानसभा चुनावों में राजनीतिक रूप से कम अनुभवी भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद और उनके संभावित पार्टी को महत्ता देने के बजाय अन्य दलित नेताओं को प्राथमिकता दी है।