लखनऊ, 20 जनवरी (न्यूज़ हेल्पलाइन) चुनाव आयोग द्वारा 5 राज्यों (यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोआ और मणिपुर) में चुनावी तिथियों की घोषणा के साथ ही सभी चुनावी राज्यों में बिगुल बज चुका है। मगर सबसे ज्यादा हलचल अगर किसी राज्य में है तो वह राज्य है उत्तर प्रदेश। हो भी क्यों न! आखिरकार यह राज्य सबसे ज्यादा लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा सीटों के साथ देश की सत्ता का निर्धारण करने में सबसे अहम भूमिका भी निभाता है।
चुनाव हो रहा है, तो नेताओं के द्वारा दल बदल भी होगा ही। विगत 14 जनवरी को खुशियों का पर्व मकर संक्रांति यूपी की भाजपा के लिए बहुत कड़वा बीता, जब यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कई भाजपा नेताओं के साथ समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थाम लिया। इस झटके के कारण यूपी की सत्तारूढ़ पार्टी मानो बैकफुट पर आ गई थी। भाजपा के सभी नेताओं का कॉन्फिडेंस मानों गायब-गायब दिखाई दे रहा था।
अब समय था पासा पलटने का। भाजपा नेताओं ने इस हार का बदला यूं लिया कि जहां सपा ने भाजपा पार्टी में सेंध लगाई थी, तो भाजपा ने सपा के मुखिया अखिलेश के परिवार में सेंध लगा दिया और अखिलेश यादव के पिता मुलायम यादव की पुत्रवधू अपर्णा यादव को कल 19 जनवरी को भाजपा पार्टी में शामिल करवा लिया।
इसके बाद कॉन्फिडेंस खोने की बारी सपा की थी। कल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के संबोधन में वह आत्मविश्वास गायब था, जो एक दिन पहले तक उनके चेहरे और वक्तव्यों में झलकता था। हालांकि उन्होंने एक पत्रकार के सवाल के जवाब में अपर्णा यादव को बधाई दी, और कटाक्ष करते हुए सपा विचारधारा के प्रसार की बात कही।
वहीं, दूसरी ओर कल 19 जनवरी जबसे अपर्णा भाजपा में शामिल हुई हैं, तबसे भाजपा नेताओं के चेहरे पर ओज दिखाई दे रहा है। साथ ही अपर्णा यादव भाजपा में शामिल होने के बाद जिस गति से भाजपा के शीर्ष नेता अपर्णा से मुलाकात कर रहे हैं, उससे भाजपा का अपर्णा यादव का आगामी चुनाव प्रचार में उपयोग करने की मंशा साफ दिखाई दे रही है। वह यूपी के आगामी चुनाव प्रचार में स्टार प्रचारक साबित हो सकती है।
बता दें कि कल से लेकर आजतक के मात्र एक दिन के भाजपा में शामिल होने के अल्प समय में ही अपर्णा से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सहित कई बड़े नेता मुलाकात कर चुके हैं। इससे भी अपर्णा के भाजपा में शामिल होने की महत्ता पार्टी के लिए समझ में आती है।
हां, इसके विपरीत अपर्णा के भाजपा में शामिल होने से सपा को नुकसान होता साफ दिखाई दे रहा है। जनता के बीच जहां भाजपा सपा के मुखिया को अपने परिवार को न संभाल पाने के लिए तंज कसती नज़र आएगी, तो सपा सफाई देती हुई। अब जनता किसका पक्ष चुनती है, यह 10 मार्च को ही ज्ञात होगा।
बता दें कि मुलायम की दूसरी पत्नी साधना यादव के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा का जन्म एक जनवरी 1990 को हुआ था। उनके पिता अरविंद सिंह बिष्ट एक मीडिया कंपनी में थे। अपर्णा यादव ने 2017 का विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट पर लखनऊ कैंट सीट से लड़ा था। उस चुनाव में उन्हें भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी ने हरा दिया था।