मुंबई, 29 नवंबर (न्यूज़ हेल्पलाइन) महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रहे आयोग ने सोमवार को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह के खिलाफ जमानती वारंट रद्द कर दिया।
परमबीर सिंह के आज न्यायमूर्ति केयू चांदीवाल के समक्ष पेश होने के बाद आयोग ने यह कदम उठाया साथ ही सदस्यीय पैनल ने पूर्व अधिकारी को पहले पेश नहीं होने पर एक सप्ताह के भीतर मुख्यमंत्री राहत कोष में 15,000 रुपये जमा करने को कहा है।
इस आयोग का गठन इस साल मार्च में तत्कालीन गृह मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता के खिलाफ परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए किया गया था। सिंह ने अपने वकीलों के माध्यम से आयोग के समक्ष एक हलफनामा दायर किया जिसमें कहा गया था कि न तो उनके पास पेश करने के लिए कोई सबूत है और न ही वह मामले में किसी गवाह से जिरह करना चाहते है।
पैनल ने इससे पहले सिंह पर कई मौकों पर पेश होने में विफल रहने के लिए जुर्माना लगाया था और उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था।
बता दें, परमबीर सिंह को एंटीलिया बम कांड के बाद मार्च में मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से स्थानांतरित कर दिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि देशमुख ने पुलिस अधिकारियों से शहर में बार और रेस्तरां से एक महीने में ₹ 100 करोड़ इकट्ठा करने के लिए कहा था। जबरन वसूली के एक मामले में यहां की एक अदालत द्वारा फरार घोषित सिंह छह महीने बाद पिछले सप्ताह सार्वजनिक रूप से सामने आए और अपना बयान दर्ज कराने के लिए मुंबई अपराध शाखा के समक्ष पेश हुए थे।
सिंह के आग्रह पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से अस्थायी सुरक्षा प्रदान की है। सिंह शुक्रवार को एक स्थानीय बिल्डर की शिकायत पर अपने और कुछ अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जबरन वसूली के मामले में ठाणे पुलिस के समक्ष पेश हुए। IPS अधिकारी सिंह महाराष्ट्र में कम से कम पांच जबरन वसूली के मामलों का सामना कर रहे है।