कोलकाता, 9 दिसंबर (न्यूज़ हेल्पलाइन) इस साल के मध्य में सम्पन्न पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भाजपा के नेताओं के बीच खूब आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चला। इसी क्रम में अभिनेता और भाजपा के नेता मिथुन चक्रवर्ती के साथ भी एक विवाद जुड़ा था, जो आज कलकत्ता हाई कोर्ट के द्वारा समाप्त किया गया।
ज्ञात हो कि पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव प्रचार दौरान मिथुन चक्रवर्ती के भाषण के खिलाफ एक प्राथमिकी मानिकतला थाने में दर्ज की गई थी। मानिकतल्ला थाने में मिथुन के खिलाफ जो प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी उसमें उनपर बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया था।
इस FIR में प्राथमिकी कर्ता द्वारा दावा किया गया है कि 7 मार्च 2021 को भाजपा में शामिल होने के बाद आयोजित रैली में मिथुन ने ‘‘मारबो एकहने लाश पोरबे शोशाने” (तुम्हे मारूंगा तो लाश श्मशान में गिरेगी) और ‘ एक छोबोले चाबी’ (सांप के एक दंश से तुम तस्वीर में कैद हो जाओगे) जैसे कई संवाद बोले। प्राथमिकी कर्ता के अनुसार मिथुन के इन संवादों के कारण ही पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा हुई थी।
इस प्राथमिकी को रद्द कराने के उद्देश्य से मिथुन चक्रवर्ती ने कोलकाता हाई कोर्ट में अपील की थी। मिथुन ने कोलकाता हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि उन्होंने सिर्फ फिल्मी संवाद बोला था। मिथुन चक्रवर्ती की इस अपील पर सुनवाई के बाद आज गुरुवार 9 दिसंबर को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति कौशिक चंदा पीठ ने पश्चिम बंगाल चुनाव अभियान के दौरान अपने विवादास्पद भाषण पर अभिनेता और भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती के खिलाफ प्राथमिकी रद्द कर दी। आगे की जांच को भी रोक दिया गया।