कोलकाता, 2 जुलाई 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा के बारे मे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की रिपोर्ट पढ़ने के बाद आज सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपना लिया और पश्चिम बंगाल पुलिस को उन सभी मामलों मामलों को दर्ज करने का निर्देश दिया है जो किसी भी मध्यम से रिपोर्ट किए गए हैं। ये मामले या तो एनएचआरसी या किसी अन्य प्राधिकरण / आयोग के समक्ष रखे गए हो या पीड़ितों के बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए हैं, सभी को कोर्ट के सामने रखा जाए।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इसके साथ ही सख्ती दिखाते हुए बंगाल के मुख्य सचिव को कहा है कि राज्य पुलिस की विशेष शाखा / खुफिया शाखा के मध्य पत्राचार, विभिन्न नियंत्रण कक्षों के लॉग के संरक्षण को सुनिश्चित करने का सख्त निर्देश देती है। 2 मई 2021 से अब तक की समस्त सामग्री को समिति के सदस्यों द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित सीलबंद लिफाफे में तत्काल रखा जाए। मामले में कोई चूक या देरी प्रतिकूल निष्कर्ष को आमंत्रित करेगी।
ज्ञात हो कि पश्चिम बंगाल में विगत 2 मई को विधानसभा चुनावों के परिणाम घोषित हुए थे। उस चुनाव में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल काँग्रेस (TMC) ने भारी बहुमत से जीत हासिल की थी। इन चुनाव परिणामों के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में काँग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर भाजपा समर्थक वोटरों और कार्यकर्ताओं के साथ हिंसा की थी।
बाद में शिकायतों के आधार पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक जांच समिति बनाने का निर्देश दिया था। NHRC की जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट कलकत्ता उच्च न्यायालय में सबमिट कर दी है। कलकत्ता उच्च न्यायालय NHRC के इसी रिपोर्ट के आधार पर पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुए हुए हिंसा के बारे में आगे की सुनवाई करते हुए आज ये निर्देश दिए है।