तिरुवनन्तपुरम, 17 अगस्त 2021 केरल के बहुचर्चित महिला उद्यमी यौन शोषण मामले की जांच का जिम्मा आखिरकार सीबीआई (केन्द्रीय जांच एजेंसी) ने ऑफिसियली अपने हाथों में ले लिया है। ज्ञात हो कि इस मामले में केरल राज्य के कई बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं। साल 2013 के इस मामले को केरल सरकार ने जनवरी 2021 को सीबीआई को सौंपने की घोषणा की थी, जिसे सीबीआई ने आज 17 अगस्त को आधिकारिक रूप से अपने हाथ में ले लिया। ज्ञात हो कि इस संबंध में यहां मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी सहित छह प्रमुख राजनेताओं के खिलाफ 'विवादास्पद' महिला उद्यमी द्वारा दायर यौन शोषण के मामलों को आधिकारिक रूप से अपने हाथ में ले लिया है। इस संबंध में यहां मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
ज्ञात हो कि कथित रूप से पीड़ित महिला उद्यमी, जो इस केस से पहले भी धोखाधड़ी के कई मामलों में आरोपित किया गया था, ने चांडी, एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल, कांग्रेस विधायक अनिल कुमार, कांग्रेस सांसद हिबी ईडन, अदूर प्रकाश और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एपी अब्दुल्लाकुट्टी के खिलाफ बलात्कार और यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी। आरोपियों के खिलाफ आर्थिक शोषण, भ्रष्टाचार और महिला उत्पीड़न की धाराएं लगाई गई हैं।
ज्ञात हो कि इस मामले की जांच पहले क्राइम ब्रांच ने भी की थी, जिसने आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। हालांकि, विधानसभा चुनाव से पहले, राज्य सरकार ने 24 फरवरी को मामले सीबीआई को सौंप दिए थे। क्राइम ब्रांच ने भी राज्य सरकार को एक रिपोर्ट देते हुए कहा था कि उन्हें चांडी को मामले में फंसाने के लिए कोई सबूत नहीं मिला है।
इस क्लीन चिट के बाद सीबीआई की तिरुवनंतपुरम इकाई ने भी नई दिल्ली को एक आपत्ति रिपोर्ट दी थी जिसमें सिफारिश की गई थी कि सबूतों की कमी के साथ-साथ शिकायत की संक्षिप्तता पर चिंताओं के कारण मामले को नहीं लिया जाना चाहिए। हालांकि, शीर्ष अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट की अनदेखी की गई जिसके परिणामस्वरूप मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
हालांकि इसके बाद केरल के यूडीएफ (The United Democratic Front) ने आरोप लगाया था कि मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करना राजनीति से प्रेरित कदम है।