बेंगलुरु, 26 मई| प्रसिद्ध गांधीवादी व स्वतंत्रता सेनानी एच.एस डोरेस्वामी का निधन आज बुधवार 26 मई के दोपहर बेंगलुरु के एक अस्पताल में हो गया। बता दें कि उनकी उम्र 103 वर्ष थी और उन्होने हाल ही में कोरोना को मात दी थी। उनके मृत्यु का समाचार उनके परिजनों ने दिया। एच.एस डोरेस्वामी का निधन बंगलुरू में हार्ट अटैक से आज दोपहर के 1:40 को हुआ।
10 अपैल 1918 को जन्में एच.एस डोरेस्वामी ने प्रारंभ से ही भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़ के हिस्सा लिया, मगर उन्हें ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए सर्वाधिक याद किया जाता है। वे इस आंदोलन के दौरान साल 1943 से लेकर 1944 तक 14 महीने तक जेल में रहें। भारत की स्वतंत्रता के बाद जब मैसूर अभिन्न भारत में शामिल होने में आनाकानी कर रहा था, तब इन्होंने ‘मैसूर चलो आंदोलन’ में भी भाग लिया था।
इन्होंने इमरजेंसी के समय भी 4 महीने जेल में गुजारी, जब इन्होंने तत्कालिक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर इमरजेंसी के खिलाफ आंदोलन करने की धमकी दी थी। एच.एस डोरेस्वामी ने अन्ना हज़ारे द्वारा प्रारंभ किए गए लोकपाल आंदोलन में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और बेंगलुरु में इस आंदोलन का नेतृत्व किया।
जब कर्नाटक में खनन माफिया ने अपना पैर फैलाना प्रारंभ किया तब भी एच.एस डोरेस्वामी आंदोलन किया और अंततः सरकार ने दबाव में आकर खनन माफियाओं के खिलाफ़ कारवाई की। इस तरह एच.एस डोरेस्वामी को सिर्फ फ्रीडम फाइटर कहना बहुत कम परिचय होगा। उन्होंने अपने जीवन पर्यंत अन्याय के खिलाफ लड़ाई की। वे एक सच्चे गांधीवादी थे। आज उनके मृत्य पर पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी देवे गौड़ा सहित सभी दलों के नेतावों ने श्रद्धांजलि दी।