मुंबई, 28 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राजस्थान में कांग्रेस के चिंतन शिविर से पहले सियासी चर्चाएं तेज हो गई है। 7 दिन पहले सचिन पायलट ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी, जिसके बाद से राजस्थान में बड़े फेरबदल की अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने राजस्थान का मुख्यमंत्री बदलने की अटकलों को खारिज कर दिया है। आपको बता दे राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है। सचिन पायलट सोनिया गांधी से अप्रैल में 3 मुलाकात कर चुके हैं। पायलट ने 21 अप्रैल को मुलाकात के बाद कहा, 'दो साल पहले AICC की बनाई कमेटी ने कई कदम उठाए हैं, उसी दिशा में आगे काम करना है। राज्य में 2023 में होने वाले चुनाव में सरकार बनाना लक्ष्य है। मेरी भूमिका पर हाईकमान को फैसला करना है।' पायलट के इस बयान के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। सोनिया गांधी से सचिन पायलट की मुलाकात के बाद अशोक गहलोत ने बड़ा बयान दिया था। गहलोत ने एक कार्यक्रम में कहा था, 'मैं जब से मुख्यमंत्री बना हूं, तब से अपना परमानेंट इस्तीफा सोनिया गांधी के पास रख दिया है। जब मुख्यमंत्री बदलना होगा, तो किसी को कानों-कान खबर तक नहीं होगी।'
कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान के उदयपुर में 13 मई से लेकर 15 मई तक चिंतन शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस शिविर में एग्रीकल्चर, पॉलिटिक्स समेत कई प्रस्ताव रखे जाएंगे। चिंतन शिविर को भी अगले चुनाव की तैयारियों के अलावा नेतृत्व में बड़े फेरबदल के नजरिए से भी कुछ बड़ा होने की सुगबुगाहट है। राजस्थान के डिप्टी CM और प्रदेश अध्यक्ष रह चुके पायलट फिलहाल किसी बड़ी भूमिका में नहीं हैं। ऐसे में पार्टी चुनाव से पहले उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दे दे। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता।
पंजाब में कांग्रेस ने चुनाव से 4 महीने पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया था। कांग्रेस का यह प्रयोग चुनाव में असफल रहा। मुख्यमंत्री भी विधानसभा का चुनाव हार गए। कांग्रेस ने अपनी समीक्षा में पाया कि चन्नी एंटी इनकम्बेंसी को खत्म नहीं कर पाए, जिस वजह से सरकार चली गई। तो वही 2020 में सचिन पायलट अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए 18 विधायकों के साथ गुरुग्राम के एक रिसॉर्ट में चले गए थे। हालांकि हाईकमान के दखल के बाद मामला शांत हुआ था। कांग्रेस ने विवाद सुलझाने के लिए अजय माकन, प्रियंका गांधी और केसी वेणुगोपाल के नेतृत्व में एक कमेटी भी बनाई थी।