मुंबई, 6 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। हिंदी भाषा को लेकर बीते कई दिनों से तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच विवादित बयानों का दौर चल रहा है। अब तमिलनाडु के एक सांसद ने हिन्दी को लेकर विवादित बयान दिया है। सत्तारूढ़ DMK के सांसद और राज्यसभा सदस्य टीके एलंगोवन ने दावा किया कि देश के जिन राज्यों में भी हिंदी बोली गई वो कभी भी विकसित नहीं हुए। जबकि मातृभाषा की जगह स्थानीय भाषा बोलने वाले राज्य इनसे बेहतर हैं। एलंगोवन ने आगे कहा कि हिंदी क्या करेगी? हमें शूद्र ही बनाएगी। इससे हमें कोई फायदा नहीं होगा। तमिल गौरव 2000 साल पुराना है। इसकी संस्कृति समानता वाली है। वे संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर हमने इसे अपना लिया तो हम गुलाम और शूद्र होंगे। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात मे हिंदी नहीं बोली जाती है। तो क्या ये राज्य विकसित नहीं हुए? DMK सांसद ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान को लेकर कहा कि इन सभी राज्यों की मातृभाषा हिंदी है, तभी ये राज्य अविकसित हैं।
आपको बता दे तमिलनाडु में हिंदी बोलना एक संवेदनशील विषय है। DMK ने 1960 में जनता का समर्थन जुटाने के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल किया था। राज्य सरकार ने यह भी आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में हिंदी को लागू किया गया है। राज्य ने यह स्पष्ट कर दिया है कि तमिलनाडु केवल अपने दो भाषा फार्मूले,तमिल और अंग्रेजी का पालन करेगा, जो दशकों से राज्य में चला आ रहा है। तो वही एलंगोवन ने अप्रैल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एक भाषण का भी विरोध किया। शाह ने नई दिल्ली में संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक के दौरान कहा था कि हिंदी को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए न कि स्थानीय भाषाओं के लिए।