नई दिल्ली, 24 अप्रैल । दुनियाभर में कोरोना महामारी विकराल रूप धारण करती जा रही है। इसके प्रकोप से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय दुनियाभर की सरकारें कर रही हैं। सऊदी अरब सहित दुनियाभर के मुस्लिम देशों में भी इस बीमारी ने हाहाकार मचा रखा है। इस जानलेवा बीमारी से बचाव के लिए अरब देशों में भी कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं। सऊदी अरब के मुफ्ती-ए-आजम और उलेमा काउंसिल के चेयरमैन शेख अब्दुल अजीज बिन अब्दुल्लाह अल-शेख ने फतवा जारी किया है। फतवा में बताया गया है कि कोरोना मरीजों का दूसरे व्यक्तियों के साथ मिलना-जुलना हराम है। मुफ्ती आजम ने कहा है कि कोरोना वायरस मरीजों को दूसरे सेहतमंद लोगों से मिलने-जुलने से परहेज करना चाहिए।
इस फतवे में साफतौर से कहा गया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्तियों को अन्य लोगों से दूर रहना चाहिए। अगर संक्रमित व्यक्ति किसी स्वस्थ व्यक्ति से मिलता है और मेलजोल रखता है तो यह हराम है। शेख़ का कहना है कि इस महामारी के फैलाव को रोकने के लिए जो भी इस बीमारी से संक्रमित है, उसको अलग-थलग रखना बेहद जरूरी हो गया है। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो इस बीमारी के फैलाव को रोक पाना असंभव हो जाएगा।
उनका कहना है कि इस्लामी शरीयत में इस तरह की जानलेवा बीमारी से बचने के लिए कई तरीके बताए गए हैं। इसमें यह तरीका भी शामिल है कि जो लोग भी इस बीमारी से संक्रमित हो रहे हैं, उन्हें अलग-थलग रखा जाए। बाकी लोगों से उन्हें मिलने जुलने नहीं दिया जाए। संक्रमित लोग जब तक पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो जाते हैं, उन्हें अलग-थलग रखने में ही समझदारी है। उनका कहना है कि यह महामारी एक दूसरे से मिलने-जुलने और साथ उठने बैठने से फैल रही है। इस बीमारी से बचने के लिए दूरी बनाकर रखना बेहद जरूरी है।
उनका कहना है कि इस्लाम में हराम-हलाल को काफी महत्व दिया गया है। हलाल वस्तु को खाने की इजाजत दी गई है। हराम चीजों से दूर रहने को कहा है। उनका कहना है कि अब जब वायरस से संक्रमित व्यक्तियों को अन्य लोगों से मिलने-जुलने को हराम करार दिया गया है तो ऐसे व्यक्तियों को चाहिए कि वह अपने स्तर पर ही अपने आप को अलग-थलग कर लें। किसी भी स्वस्थ व्यक्ति से मिलने का प्रयास बिल्कुल भी ना करें। अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो यह हराम है और हराम कार्य करने वालों की पकड़ काफी ज्यादा होती है।