नई दिल्ली, 18 जून 2021 भारत में कोरोना महामारी ने अबतक जानमाल का बहुत नुकसान पहुचाया है। विशेषतः कोरोना की दूसरी लहर में देश में बहुत ही ज्यादा जाने गई हैं, लोगों के रोजगार पर बहुत ही ज्यादा बुरा प्रभाव पड़ा है। कोरोना की इन्ही दोनों लहरों के दुष्प्रभावों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स ) ने एक सर्वेक्षण किया है जिसमें कोरोना का बच्चों के ऊपर पड़ने वाले प्रभाव पर विवेचना की गई है। इन दोनों संगठनों ने सर्वे के बाद जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर में बच्चों के ऊपर बहुत कम दुष्प्रभाव पड़ेगा।
एम्स-WHO के संयुक्त सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों में इस बीमारी से लड़ने की क्षमता वयस्कों के मुकाबले ज्यादा होती है। ज्ञात हो कि इस सर्वेक्षण में 5 राज्यों से कुल 10,000 सैंपल इकट्ठे किए गए थे, जिसमें से 4500 सैंपल की रिपोर्ट आ गई है। एम्स-डबल्यूएचओ ने अपने रिपोर्ट को बनाने में इन्ही सैंपल के रिजल्ट का इस्तेमाल किया है। हालांकि अभी भी 5500 सैंपल की रिपोर्ट आनी बाकी है, इसलिए इस सर्वेक्षण के पूर्ण हो जाने पर फाइनल रिपोर्ट आएगी।
एम्स-डबल्यूएचओ की रिपोर्ट से इतर भी एक रिपोर्ट विगत दिनों भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी की गई थी। उस रिपोर्ट में भी दर्शाया गया था कि 20 साल से कम उम्र के बच्चों में कोरोना से प्रभावित होने की दर काफी कम रही है। ज्ञात हो कि स्वास्थ्य मंत्रालय की उस रिपोर्ट को बनाने में कोरोना के पहले और दूसरे लहर में कोविड-19 से बीमार हुए लोगों के कुल आंकड़ों में से बच्चों के बीमार होने की संख्या को अलग कर रिपोर्ट बनाया था।
विदित हो कि फिलहाल एम्स में बच्चों के ऊपर वैक्सीन का ट्रायल जारी है। जिसके बाद संभव होगा कि बच्चों के वैक्सीनेशन का कार्यक्रम शुरू हो जाए। इन सभी सर्वेक्षण रिपोर्ट और वैक्सीन ट्रायल को देखते हुए कहा जा सकता है कि अगर देश में कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दी भी तो बच्चें काफी हद तक इसके दुष्प्रभाव से सुरक्षित रहेंगे।