प्रयागराज, 2 सितंबर (न्यूज़ हेल्पलाइन)
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा, “गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए और गौ रक्षा को हिंदुओं का मौलिक अधिकार माना जाना चाहिए क्योंकि हम जानते हैं कि जब देश की संस्कृति और उसकी आस्था को चोट लगती है, तो देश कमजोर हो जाता है।” व्यक्ति पर गोहत्या का आरोप लगाया गया है।
आरोपी जावेद की जमानत याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की एकल पीठ ने कहा की, “मौलिक अधिकार केवल गोमांस खाने वालों का विशेषाधिकार नहीं है; बल्कि, जो गाय की पूजा करते हैं और आर्थिक रूप से गायों पर निर्भर हैं, उन्हें भी सार्थक जीवन जीने का अधिकार है। जीने का अधिकार मारने के अधिकार से ऊपर है और बीफ खाने के अधिकार को कभी भी मौलिक अधिकार नहीं माना जा सकता।”
न्यायाधीश ने कहा कि आवेदक ने गाय की चोरी करने के बाद उसे मार डाला था व उसका सिर काट दिया था और उसका मांस जमा कर दिया था।
अदालत ने ज़मानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, "यह आवेदक का पहला अपराध नहीं है", यह कहते हुए कि “अगर आवेदक को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह फिर से वही अपराध करेगा, जिससे सांप्रदायिक सद्भाव खराब होगा।”
न्यायाधीश ने सरकार से "गाय को राष्ट्रीय पशु" घोषित करने वाला एक कानून पारित करने के लिए भी कहा और जो "गायों को नुकसान पहुंचाने की बात करने वालों" के खिलाफ कार्रवाई को सक्षम बनाता है और उन लोगों के खिलाफ भी जो गायों की रक्षा करने का दावा करते हैं लेकिन केवल "गौ रक्षा का नाम पैसा कमाना चाहते हैं।”
यादव ने जोर देकर कहा कि यह धार्मिक न्याय के बारे में नहीं है उन्होंने कहा, “मुसलमानों ने भी अपने शासनकाल के दौरान गाय को भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना है। उदाहरण के लिए, पांच मुस्लिम शासकों द्वारा गायों के वध पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। बाबर, हुमायूँ और अकबर ने अपने धार्मिक त्योहारों में गायों की बलि पर रोक लगा दी थी। मैसूर के नवाब हैदर अली ने भी गोहत्या को दंडनीय अपराध बना दिया था।”
बात दें, भारत में 20 राज्यों में गाय के वध को आंशिक रूप से या पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिसमें से लगभग 70 साल पहले की बात है। हाल के वर्षों में, गौ-रक्षक समूहों द्वारा गायों को ले जाने वाले लोगों पर हमलों में तेजी देखी गई है, जिनमें कई मामलों में वध के लिए ऐसा नहीं करने वाले भी शामिल हैं।
गाय की उपयोगिता पर जोर देते हुए, न्यायाधीश ने आगे कहा: "गाय बूढ़ी और बीमार होने पर भी उपयोगी होती है, और उसका गोबर और मूत्र कृषि, दवा बनाने के लिए बहुत उपयोगी होता है।” उन्होंने कहा कि किसी को भी "माँ के रूप में पूजे जाने वाले" को मारने का अधिकार नहीं है।
न्यायमूर्ति यादव ने उन गौशालाओं की भी आलोचना की जहां गायों की ठीक से देखभाल नहीं की जाती है और उनके मालिक गायों को छोड़ देते हैं जो अब उत्पादक नहीं हैं।
गाय की रक्षा और देखभाल सच्चे मन से करने की जरूरत है और सरकार को भी उनके मामले पर गंभीरता से विचार करना होगा।
न्यायमूर्ति यादव ने कहा, "जब गायों का कल्याण होगा, तभी इस देश का कल्याण होगा।"