नई दिल्ली, 13 अप्रैल । कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए)-2 सरकार में उर्दू के प्रमोशन और प्रचार-प्रसार के लिए कार्यरत संस्था राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद (एनसीपीयूएल) को मात्र 193.83 करोड़ रुपये दिए गए थे। वहीं केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार आने पर परिषद को दिया जाने वाला फंड लगभग दोगुना कर दिया। मोदी सरकार की उर्दू में दिलचस्पी की बदौलत संस्था के केंद्रों और छात्रों की संख्या भी उत्साहजनक वृद्धि हुई है।
राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद, शिक्षा मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है। यह देश भर में उर्दू, अरबी और फारसी भाषाओं के प्रचार के लिए कार्य करता है। यह भारत सरकार को उर्दू भाषा से जुड़े मुद्दों पर सलाह देता है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने मंगलवार को राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद (एनसीपीयूएल) की कार्यकारी बोर्ड मीटिंग की अध्यक्षता की और उर्दू के विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की। परिषद की 51वीं बैठक में पोखरियाल को वर्ष 2020-21 की उपलब्धियों से अवगत कराया गया।
केंद्रीय मंत्री पोखरियाल ने कहा कि पिछले परिषद को दिया जाने वाला फंड लगभग दोगुना कर दिया गया है। उन्होंने बताया, “2009-14 के बीच इस संस्था को 193.83 करोड़ रुपये दिए गए थे वहीं 2015-2020 के बीच में 402.56 करोड़ रुपये दिए गए हैं। इसके अलावा डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन, बिज़नेस एकाउंटिंग एवं मल्टीलिंगुअल डीटीपी के केंद्रों को इसी समयाविधि के दौरान 468 से बढ़ा कर 539 कर दिया गया है। इन केंद्रों में छात्रों की संख्या भी 1,06,615 से बढ़ कर 1,69,77 हो गए हैं।”
निशंक ने बताया कि डिप्लोमा इन कैलीग्राफी एवं ग्राफ़िक डिज़ाइन के भी केंद्र भी 55 से बढ़ा कर 74 किए गए हैं जहां पहले के 5176 छात्रों के मुकाबले अब 17950 छात्र पढ़ रहे हैं।
उर्दू भाषा में एक साल के डिप्लोमा पाठ्यक्रम के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया, “2009-14 में 1066 केंद्रों में 2,98,595 छात्र पढ़ रहे थे वहीं 2015-20 में 1423 केंद्रों में 4,93,981 छात्र पढ़ रहे हैं। अरबी एवं फ़ारसी भाषा में डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट कोर्स में भी 505 केंद्रों को बढ़ा कर 873 कर दिया गया और छात्रों की संख्या 1,48,302 से बढ़ कर 2,66,791 हो गई है।"
उन्होंने कहा कि निर्देश दिया गया है कि उर्दू काउंसिल को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के प्रचार-प्रसार के लिए काम करना चाहिए और उर्दू बोलने वालों तक पहुंचना चाहिए। इन भाषाओं को बढ़ावा देने वाले देशों और संगठनों के साथ टाई-अप करके अरबी और फारसी को बढ़ावा देने के लिए साझेदारी की जानी चाहिए।