भोपाल, 30 अप्रैल । मध्य प्रदेश को मेडिकल ऑक्सीजन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में तेजी से काम शुरू कर दिया गया है। कोविड महामारी से सबक लेते हुए सरकार प्रदेश के हर जिला अस्पताल को अब ऑक्सीजन के स्तर पर आत्मनिर्भर बनाने जा रही है। निजी अस्पतालों से भी कहा जा रहा है कि वे अपने यहां ऑक्सीजन प्लांट लगाएं, उनकी जितनी अधिक इस कार्य में यथासंभव सहायता होगी वह राज्य सरकार करेगी। इसके संकेत फिर एक बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बाद जल संसाधन एवं इंदौर के प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट ने दिए हैं।
इस दिशा में शुक्रवार इंदौर के सभी निजी अस्पतालों से कहा गया है कि वे ऑक्सीजन की उपलब्धता में आत्मनिर्भर बनें। अपने हॉस्पिटल में ऑक्सीजन का प्लांट लगाएं, मध्य प्रदेश सरकार इस कार्य में हर संभव सहयोग प्रदान करेगी। श्री सिलावट ने कहा है कि वर्तमान परिस्थितियों में अस्पतालों का ऑक्सीजन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना बेहद ज़रूरी हो गया है। ऑक्सीजन के लिए अस्पतालों का लगातार सरकार पर निर्भर रहना उचित नहीं है। मरीज़ों के परिजनों को भी ऑक्सीजन की व्यवस्था बनाने में अपार कष्ट हो रहा है। अतः ऐसी परिस्थितियों में प्रत्येक हॉस्पिटल में ऑक्सीजन प्लांट बने यह ज़रूरी हो गया है। ऐसा किया जाना दीर्घ अवधि के लिए भी बेहद लाज़मी हो गया है।
इस दौरान मंत्री सिलावट ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री श्रीचौहान से इस संबंध में चर्चा की है। जो अस्पताल अपने परिसर में ऑक्सीजन प्लांट लगाएंगे उन्हें जीएसटी अथवा अन्य करों में छूट भी प्रदान की जाएगी, इसके अलावा भी अन्य प्रयास होंगे। अभी अप्रैल माह में पहले की अपेक्षा ऑक्सीजन की उपलब्धता पाँच गुना बढ़ी है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज द्वारा अब तक बताया गया है कि केंद्र सरकार से643 मीट्रिक टन प्रतिदिन ऑक्सीजन आपूर्ति की स्वीकृति मिली है। रेल और वायु मार्ग से नियमित ऑक्सीजन की आपूर्ति हो रही है। इसके साथ ही ऑक्सीजन की आपूर्ति को सुचारू बनाने के लिये राज्य सरकार द्वारा 2000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे गये हैं। प्रदेश के 34 जिलों में स्थानीय व्यवस्था से एक हजार से अधिक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स लगाए जा चुके हैं।
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च, भारत सरकार द्वारा अधिकृत संस्था के माध्यम से प्रदेश के पांच जिला चिकित्सालयों भोपाल, रीवा, इंदौर ग्वालियर और शहडोल में नवीनतम वीपीएसए तकनीक आधारित ऑक्सीजन प्लांट्स एक करोड़ 60 लाख रुपये की लागत से लगाये जा रहे हैं। इनमें 300 से 400 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन बनेगी जो लगभग 50 बेड्स के लिए पर्याप्त होगी। इस नवीनतम तकनीक से ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है।
ऑक्सीजन बढ़ाने के ये भी हो रहे प्रयास-
इसी प्रकार रक्षा मंत्रालय की एजेंसी डीआरडीओ द्वारा अस्पताल में ही नयी डेबेल तकनीक के आधार पर चलने वाले ऑनसाईट ऑक्सीजन गैस जनरेटर प्लांट विकसित किये गए हैं। मध्यप्रदेश के आठ जिलों बालाघाट, धार, दमोह, जबलपुर, बड़वानी, शहडोल, सतना और मंदसौर में पांच करोड़ 87 लाख रुपये से अधिक की लागत के इसी तकनीक आधारित 570 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाले ऑनसाईट ऑक्सीजन गैस जनरेटर प्लांट लगाए जा रहे हैं।
प्रदेश के आठ जिलों में भारत सरकार के सहयोग से पीएसए तकनीक आधारित आठ ऑक्सीजन प्लांट्स स्वीकृत हुए हैं, जिनमें से छह प्लांट्स ने कार्य करना प्रारंभ कर दिया है। प्रदेश के 37 जिलों के लिए राज्य सरकार स्वयं के बजट से जिला अस्पतालों में पीएसए तकनीक से तैयार होने वाले नए ऑक्सीजन प्लांट्स लगा रही है। इनमें से प्रथम चरण में 16 मई तक 13 जिलों में प्लांट प्रारंभ हो जायेंगे। द्वितीय चरण में नौ जिलों में प्लांट 23 मई तक चालू हो जायेंगे। तृतीय चरण में शेष 15 जिलों में ऑक्सीजन प्लांट्स 20 जुलाई तक प्रारंभ करने का लक्ष्य है।
इसके अलावा प्रदेश मे स्थित थर्मल पॉवर स्टेशंस के माध्यम से खंडवा और सारणी में 7000 लीटर क्षमता वाले नए ऑक्सीजन प्लांट अगले तीन सप्ताह में तैयार हो जाएंगे। इन प्लांट से लगभग 200 सिलेंडर ऑक्सीजन प्रतिदिन प्राप्त हो सकेगी। इसी प्रकार से प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के बेड्स को ऑक्सीजन बेड्स में परिवर्तित करने के लिए पाइप लाइन डालने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। जिला अस्पतालों के 2,302 बिस्तरों में से अब तक 1058 बिस्तरों के लिए ऑक्सीजन पाइप लाइन डालने का कार्य पूर्ण हो चुका है। प्रदेश के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के 4643 बिस्तरों में से अब तक 304 बिस्तरों के लिए ऑक्सीजन पाइप लाइन डाली जा चुकी है।