नई दिल्ली, 15 दिसंबर (न्यूज़ हेल्पलाइन) भारत के क्रिमिनल कानूनों के ज्यादातर प्रावधान अंग्रेजों के समय के हैं, जिनमें से बहुत से कानून वर्तमान समय में उपयोगी नहीं रह गए हैं। हालांकि सरकारों ने समय-समय पर इनमें परिवर्तन किए हैं, मगर अब समय आ गया है जब समूल क्रिमिनल्स कानूनों पर पुनर्विचार किया जाए। केंद्र सरकार ने इसी सोच के तहत क्रिमिनल लॉ में बदलाव की पहल की है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि आपराधिक कानूनों में सुधार का सुझाव देने के लिए राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। गृह मंत्रालय ने आपराधिक कानूनों में संशोधन पर राज्यपालों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों, उप-राज्यपालों, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों से भी सुझाव मांगे हैं। प्राप्त सुझावों और समिति की रिपोर्ट सभी हितधारकों के परामर्श से गृह मंत्रालय द्वारा जांच के अधीन हैं।
नारायण दास गुप्ता के प्रश्न कि क्या गृह मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे क्या यह सच है कि मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, दिल्ली में आपराधिक कानूनों में सुधार की सिफारिश करने के लिए पांच सदस्यीय आपराधिक कानून सुधार समिति का गठन किया गया है। क्या यह भी सच है कि यह एक सर्व-पुरुष सदस्य समिति है? क्या समिति में अल्पसंख्यकों से कोई सदस्य नहीं हैं? तथा क्या यह समिति की अंतिम रचना है और किसी भी महिला या अल्पसंख्यक सदस्य को समायोजित नहीं किया जाएगा?
नारायण दास गुप्ता के सवाल के उत्तर में भारत सरकार के गृह मंत्रालय की तरफ से आज बुधवार 15 दिसंबर को लिखित उत्तर देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने राज्यसभा में बताया कि आपराधिक कानूनों में सुधार का सुझाव देने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली के राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति, राज्यपालों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों, उपराज्यपालों (एलजी) और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों, भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश, विभिन्न उच्च न्यायालयों के माननीय मुख्य न्यायाधीशों, बार काउंसिल ऑफ इंडिया से भी सुझाव मांगे हैं।
इसके साथ ही आपराधिक कानूनों में व्यापक संशोधन पर विभिन्न राज्यों और विभिन्न विश्वविद्यालयों/विधि संस्थानों की बार काउंसिल प्राप्त सुझावों और समिति की रिपोर्ट सभी हितधारकों के परामर्श से गृह मंत्रालय द्वारा जांच के अधीन हैं। प्रक्रिया समाप्त होने के बाद इसपर अंतिम रूप से विचार किया जाएगा।