नई दिल्ली, 27 अप्रैल । भारत सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। अबतक 30 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र जैविक प्रमाणीकरण के तहत पंजीकृत हैं और धीरे-धीरे अधिक से अधिक किसानों को इस मुहिम में शामिल किया जा रहा है।
कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग (डीएसीएंडएफडब्ल्यू) ने मंगलवार को एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि भारत सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार के कार निकोबार और द्वीपों के समूह नैनकोवरी के 14,491 हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक प्रमाणपत्र दिया है। यह क्षेत्र पीजीएस-इंडिया (पार्टिसिपेटरी गारंटी सिस्टम) प्रमाणन कार्यक्रम के लार्ज एरिया सर्टिफिकेशन (एलएसी) योजना के तहत जैविक प्रमाणीकरण से प्रमाणित किए जाने वाला पहला बड़ा क्षेत्र बन गया है।
उल्लेखनीय है कि कार निकोबार और द्वीपों के समूह नैनकोवरी पारंपरिक रूप से जैविक क्षेत्र के रूप में जाने जाते हैं। प्रशासन ने इन द्वीपों में जीएमओ बीज के किसी भी रासायनिक बिक्री, खरीद और उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन ने स्थानीय समुदायों के सहयोग से भूमि स्वामित्व, काम करने के तरीके और बीते समय में अपनाई गई पद्धति को लेकर द्वीप के आधार पर और किसान के आधार पर डेटाबेस तैयार किया है। एक विशेषज्ञ समिति ने जैविक स्थिति का सत्यापन किया है और पीजीएस-इंडिया सर्टिफिकेट स्कीम के तहत क्षेत्र को जैविक प्रमाण देने की सिफारिश की है। इन रिपोर्टों के आधार पर, भारत सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कार निकोबार और द्वीपों के समूह नैनकोवरी के 14,491 हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक प्रमाण पत्र दिया है।