नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (न्यूज हेल्पलाइन) विगत कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों पर आतंकवादियों के द्वारा हो रहे हिंसक हमलें और हत्याओं पर केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन लगातार घिरते जा रही है। ज्ञात हो कि सिर्फ इस अक्टूबर महीने में ही अब तक 11 से ज्यादा सिविलियन की जान जा चुकी है। इस बारे में विपक्षी दलों के कई नेता भी मुखर होने लगे हैं।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर आर चौधरी ने कश्मीर मुद्दे पर केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह चिंता का विषय है। हमें बुरा लगता है जब हमारे सैनिक, निर्दोष नागरिक मारे जाते हैं। हम चाहते हैं कि सरकार बताए कि उनका क्या रुख है क्योंकि उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया था कि 35ए और 370 के खात्मे के बाद कश्मीर में आतंकवाद खत्म हो जाएगा।
कांग्रेस नेता अधीर आर चौधरी ने आगे कहा कि अपने कश्मीर दौरे के दौरान मैंने कहा था कि अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी का असर कश्मीर पर भी पड़ सकता है। मैंने अपनी चिंता भी व्यक्त की कि कश्मीर में यह सन्नाटा आने वाले तूफान का संकेत है।
कश्मीर मुद्दे पर जी केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए शिवसेना के नेता और प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति चिंताजनक है। बिहारी प्रवासियों, कश्मीरी पंडितों, सिखों को निशाना बनाया जा रहा है। जब पाकिस्तान की बात होती है, तो आप सर्जिकल स्ट्राइक की बात करते हैं। फिर, यह चीन के लिए भी किया जाना चाहिए। रक्षा मंत्री या गृह मंत्री को देश को बताना चाहिए कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख में क्या स्थिति है?
अपने बेबाक राय के लिए जाने जाने वाले मेघालय के राज्यपाल सत्य पाल मलिक (जो कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रह चुके हैं) ने इस बारे में बोलते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में मेरे कार्यकाल के दौरान, श्रीनगर की 50-100 किलोमीटर की सीमा में कोई भी आतंकवादी प्रवेश नहीं कर सका। लेकिन अब श्रीनगर में आतंकी गरीबों की हत्या कर रहे हैं। यह वास्तव में दुखद है।