पटना, 2 मार्च (न्यूज़ हेल्पलाइन) 16वां बिहार राज्य आर्थिक सर्वेक्षण (Bihar Economic Survey 2021-22) जो कि विगत दिनों बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बिहार विधानसभा में पेश किया था, में हालांकि बाकी आर्थिक पक्ष या रिपोर्ट संतोषजनक हैं, मगर एक बात जो सर्वे में बताई गई है, वह काफी खतरनाक स्थित को बयां करती है। बिहार राज्य आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में बताया गया है कि बिहार के बड़े ग्रामीण इलाकों में भूजल में बड़े पैमाने पर रासायनिक संदूषण है, जहां पीने के पानी के स्रोत खपत के लिए असुरक्षित हैं और आबादी के लिए स्वास्थ्य जोखिम पैदा करते हैं। ज्ञात हो कि दूषित पानी के सेवन से त्वचा, लीवर, किडनी और अन्य जल जनित रोग होते हैं।
16वीं बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021-22 (Bihar Economic Survey 2021-22) में कहा गया है कि बिहार के 38 में से 31 जिलों के ग्रामीण इलाकों में भूजल आर्सेनिक, फ्लोराइड और लौह संदूषण से प्रभावित है। प्रभावित जिलों में बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, दरभंगा, कटिहार, खगड़िया, लखीसराय, मुंगेर, समस्तीपुर, सारण, सीतामढ़ी, पटना, वैशाली, शेखपुरा, नवादा, अररिया औरंगाबाद, बांका, भागलपुर, गया, जमुई, कैमूर, मुंगेर, नालंदा और रोहतास शामिल हैं।
38 में से 31 जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों के 30,272 ग्रामीण वार्डों में भूजल में रासायनिक संदूषण है। 16वीं बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021-22 में कहा गया है कि बिहार के 11 जिलों के 3,791 ग्रामीण वार्डों में पेयजल स्रोत फ्लोराइड संदूषण से प्रभावित हैं। नौ कोसी बेसिन जिलों में और अन्य जिलों में कुछ क्षेत्रों में अतिरिक्त लोहे की उपस्थिति है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि गंगा विशेष रूप से आर्सेनिक संदूषण से प्रभावित हैं। इस कारण से इन जिलों के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य को बड़ा खतरा है।
रिपोर्ट में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHED) द्वारा बिहार के जल गुणवत्ता मानचित्रण से संबंधित आंतरिक मूल्यांकन और निष्कर्षों का उल्लेख किया गया है। इन प्रभावित जिलों में लोगों को सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार विभाग ने गहरे पानी के बोरवेल खोदना शुरू कर दिया है।
बिहार PHED सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव ने इस बारे में कहा कि हम स्थिति की गंभीरता को समझते हैं, जिसके कारण विभाग सतही जल और भूजल आधारित योजनाओं के मिश्रण के लिए गया है। एक पाइप जलापूर्ति योजना शुरू करने के अलावा, विभाग ने परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशाला (NABL) के लिए राज्य स्तरीय राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड के माध्यम से पानी की गुणवत्ता की निगरानी और निगरानी को भी मजबूत किया है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए 'हर-घर-जल-नल-योजना' भी शुरू की है।
ज्ञात हो कि बिहार के बहुत से ऐसे ग्रामीण इलाके हैं, जहां पर नीतीश कुमार सरकार ने नलों के द्वारा शुद्ध पेयजल पहुंचाने का प्रयास किया है, मगर अभी भी ज्यादातर इलाके शुद्ध पेयजल की पहुंच से दूर हैं। केमिकल युक्त जल को पेयजल के रूप में इस्तेमाल कर रहे ग्रामीणों को पता ही नहीं होता है कि वह कितने खतरनाक जल का सेवन कर रहे हैं। ऐसे में उन तक शुद्ध पेयजल को पहुंचाना सरकार की जिम्मेदारी है।