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अलवर में ACB ने ESIC मेडिकल कॉलेज में चल रही संविदा पर भर्ती में पैसे लेने वाले 3 लोगों को गिरफ्तार किया

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Posted On:Friday, June 18, 2021

अलवर,18 जून 2021
 
ACB के एडिशनल एसपी ने कहा,''ये नर्सिंग कर्मियों से 1,50,000-2,00,000 रुपये,नर्सिंग सहायकों से 60,000-90,000 रुपये लेकर लगभग 100 लोगों की भर्ती कर चुके थे।'' अलवर के एमआईए स्थित इएसआईसी मेडिकल कॉलेज में करीब 531 पदों पर संविदा पर भर्ती करने वाली गुजरात की एमजे सोलंकी कम्पनी ने शुरुआत में ही करोड़ों की डील कर ली। पहले चरण में करीब 108 पदों पर भर्ती होनी थी, जिसके लिए करीब 90 अभ्यर्थियों से पैसा भी ले लिया। एसीबी ने करीब 11 दिन की मशक्कत कर गुरुवार को अलवर, अजमेर व जोधपुर से करीब 20 लाख रुपए जब्त किए हैं। गुरुवार को पूरी रात कार्रवाई चली। अगले दिन शुक्रवार को सुबह साढ़े पांच बजे बाद एसीबी के अधिकारी व कर्मचारी विश्राम करने जा सके। 

गुजरात की कम्पनी मालिक मिनेश वसूली करके निकला एसीबी के डीएसपी कमल नयन ने बताया कि अलवर से भरत पूनिया व कान्हाराम को गिरफ्तार किया है। जिनसे 4 लाख 50 हजार रुपए मिले हैं। जबकि एमजे सोलंकी कम्पनी का मालिक मिनेश पटेल दिन में ही उनसे वसूली का करीब 14 लाख 50 हजार रुपए लेकर जोधपुर निकला था। जिसे अजमेर के पास एसीबी ने गिरफ्तार कर लिया। वहीं जोधपुर मेडिकल कॉलेज में कार्यरत अलवर के निवासी महिपाल यादव से एसीबी ने 70 हजार रुपए जब्त किए है। बताया जा रहा है कि महिपाल अलवर का रहने वाला है। जिसकी जोधपुर मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी है। जोधपुर मेडिकल कॉलेज में भी संविदा पर स्टाफ उपलब्ध कराने वाली एमजे साेलंकी कम्पनी है। इस कारण महिपाल कम्पनी के सम्पर्क में था। जो अलवर के अभ्यर्थियों को भरत पूनिया के पास भेजता था।

मिनेश दूसरी बार लेकर गया था पैसा मिनेश अलवर में दूसरी बार आया था। इससे पहले भी करीब 15 लाख रुपए लेकर जा चुका था। मतलब मिनेश ने ही अलवर में भर्ती के लिए भरत पूनिया को कॉर्डिनेटर लगाया था। जो मूल रूप से जोधपुर का रहने वाला है। पूनिया के पास महिपाल सहित कई अन्य लोगों के जरिए अभ्यर्थी पहुंचे थे। जिनसे मोटी रकम वसूली गई है। 

नर्सिंगकर्मी पद के 80 से 90 हजार, बड़े पद के 2 लाख तक एसीबी के अधिकारियों ने बताया कि नर्सिंगकर्मी पद के लिए करीब 80 से 90 हजार रुपए लेते थे। इससे बड़े पद के 2 लाख रुपए तक वसूले हैं। रिश्वत की राशि पद के वेतन के आधार पर तय थी। अभ्यर्थी से पद के वेतन का चार से पांच गुना राशि पहले ही ले रहे थे। पूनिया अभ्यर्थियों को यही कहता था कि यह कम्पनी की पॉलिसी है। हर अभ्यर्थी को संविदा पर नौकरी तभी मिल सकती है जब वह उसे मिलने वाले वेतन का चार गुना पैसा पहले कम्पनी को देगा। इसके एवज में कोई रसीद नहीं देते थे। यह वसूली का तरीका था।

करीब 31 तरह के पद पर भर्ती मेडिकल कॉलेज में छोटे से बड़े करीब 31 तरह की पोस्ट पर भर्ती होनी है। जिनके कुल 531 पद बताए गए हैं। हरेक पद का वेतनमान अलग-अलग है। पे स्केल अच्छा होने के कारण अभ्यर्थियों से आसानी से वेतन का चार गुना दाम पहले लेने लगे। कुछ ही दिनों में 90 अभ्यर्थियों से एक करोड़ रुपए से अधिक ले चुके थे। एसीबी की कार्रवाई नहीं होती तो 531 पदों के एवज में करोड़ों रुपए वसूलने की तैयारी थी। पूनिया ने इतना जरूर कहा कि ज्यादा पद वीआईपी कोटे से भरने में लगे थे। पैसे कम लोगों से लिए हैं। वीआईपी का मतलब अधिकारी व नेता से है।

रात 2 बजे चैंबर सील, रात 4 बजे पैसे की गिनती एसीबी की टीम ने रात भर कार्रवाई की है। रात करीब 2 बजे मेडिकल काॅलेज में डीन, एडी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के 7 चैंबर सील किए हैं। इसके बाद आरोपियों को होटल लेकर आए हैं। यहां सुबह 5 बजे तक पैसे की गिनती सहित अन्य कागजी काम हुआ है।

नेताओं के नाम भी आ रहे अपने परिचित अभ्यर्थियों को संविदा पर नौकरी दिलाने के लिए अलवर के श्रम राज्य मंत्री टीकाराम जूली, सांसद बालकनाथ के पीए, पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने पूनिया को फोन किए हैं। वाट्सअप पर अभ्यर्थियों की सूची भेजी है। लेकिन, उनसे पैसे की लेन-देन की पुष्टि नहीं हो सकी है। इस मामले में एसीबी के अधिकारियों का कहना है कि यह जांच का विषय है। पूर्व विधायक आहूजा ने केवल एक बार ही बात की थी। सांसद बालकनाथ के पीए कुलदीप यादव के मामले में एसीबी के अधिकारियों ने कहा कि मोबाइल चैट के आधार पर राशि लेने की बात शुरूआत में सामने आई थी लेकिन, बाद में यह भी लगा कि वाट्सअप पर अभ्यर्थियों की संख्या लिखी थी। राशि नहीं। हालांकि इस मामले की जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा। अधिकारियों ने बताया कि सांसद के पीए ने 9 अभ्यर्थियों की सूची भेजी थी। पूनिया ने कहा था कि हम 4 अभ्यर्थियों को लगा सकते हैं। इस पर पीए ने वापस जवाब भेजा था कि 4 नहीं 5 तो लगाओ। फिर भी इस मामले की जांच के बाद ही असलियत सामने आ सकेगी।


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