मुंबई, 20 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। तेलंगाना के हैदराबाद में हुए दिशा रेप एंड मर्डर केस में आरोपियों के एनकाउंटर को सुप्रीम कोर्ट के कमीशन ने फर्जी बताया है। साथ ही मामले में शामिल पुलिसकर्मियों पर मुकदमे की सिफारिश की है। जांच करने वाले सिरपूरकर कमीशन ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक दिशा रेप केस में कथित चारों आरोपियों का फेक एनकाउंटर किया गया था।
दरअसल, हैदराबाद के पास शमशाबाद में 27 नवंबर 2019 को टू-व्हीलर का टायर पंक्चर होने के बाद एक टोल प्लाजा के पास इंतजार कर रही 26 वर्षीय वेटरनरी डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। डॉक्टर का जला हुआ शव अगले दिन सुबह मिला था। ये सभी ट्रक ड्राइवर और क्लीनर थे, जिन्होंने शराब पीने के बाद 7 घंटे तक डॉक्टर के साथ दरिंदगी की थी। इसके बाद पीड़ित को शादनगर के बाहरी इलाके में जला दिया था। इस मामले की देशभर में आलोचना हुई थी। इस घटना में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया था।
इसके बाद उसी साल 6 दिसंबर को शादनगर के पास अपराध स्थल पर एनकाउंटर में चारों आरोपी मारे गए थे। पीड़िता की पहचान उजागर नहीं हो इसलिए पुलिस ने उसे दिशा नाम दिया था। आरोपियों में मुख्य आरोपी मोहम्मद आरिफ उर्फ अहमद, जोलू शिवा, चिंताकुंतला चेन्नाकेशवुलु, जोलू नवीन शामिल थे आरिफ की उम्र 26 साल थी, जबकि बाकी आरोपियों की उम्र 20 साल बताई गई थी। जिसके बाद पुलिस ने दावा किया था कि सीन रिक्रिएट करने के लिए वह आरोपियों को लेकर मौके पर पहुंची थी। इसी बीच आरोपी उनके हथियार छीनकर भागने की कोशिश करने लगे जिसके कारण बचाव में ये एनकाउंटर हुआ। इस घटना ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के गुस्से को भड़का दिया, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
आपको बता दे जिसके बाद आरोपियों के एनकाउंटर पर सवाल उठेने लगे थे। सवालो को शांत केने के लिए कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज, जस्टिस वीएस सिरपुरकर की अध्यक्षता में पैनल बनाकर जांच करने का आदेश दिया था। उनके अलावा बॉम्बे हाईकोर्ट की रिटायर्ड जज जस्टिस रेखा बालदोता और CBI के पूर्व निदेशक कार्तिकेयन भी इस कमीशन में शामिल थे।