मुंबई, 20 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। अपनी बेटी की हत्या के आरोप में जेल में बंद इंद्राणी मुखर्जी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। जिसके बाद इंद्राणी मुखर्जी को भायखला महिला जेल से रिहा कर दिया गया। आपको बता दे इससे पहले लोवर, बॉम्बे हाईकोर्ट से उनकी 7 जमानत अर्जी खारिज हो चुकी थी। देश की सर्वोच्च अदालत ने माना कि शीना बोरा की हत्या की जांच लंबी चलेगी, इसलिए लंबे समय तक इंद्राणी को जेल में नहीं रखा जा सकता है। इंद्राणी पिछले साढ़े 6 साल से जेल की सलाखों के पीछे कैद थीं। जेल से रिहा होने के बाद इंद्राणी मुखर्जी ने कहा, "मैं बहुत खुश हूं, अभी घर जा रही हूं, आगे की कोई योजना नहीं है, अभी तो सिर्फ घर जाना है।" हालांकि रिहाई के लिए इंद्राणी की ओर से 2 लाख रुपये का बांड विशेष सीबीआई अदालत में जमा करवाया गया है। हालांकि, इंद्राणी को अदालत द्वारा लगाई गई उन शर्तों को भी मानना होगा, जिसमें कहा गया है कि वे बिना स्थानीय पुलिस को बताये मुंबई से बाहर नहीं जा सकती हैं।
क्या है पूरा मामला -
शीना बोरा हत्याकांड का खुलासा तब हुआ, जब पुलिस ने इंद्राणी मुखर्जी के ड्राइवर श्यामवर राय को बंदूक के साथ गिरफ्तार किया। राय ने बताया था कि शीना की हत्या साल 2012 में इंद्राणी मुखर्जी ने एक कार में गला दबाकर की थी। इंद्राणी के गिरफ्तारी के बाद उनके पूर्व पति संजीव खन्ना को भी बेटी की हत्या में मदद करने और सबूत मिटाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अपने दूसरे पति पीटर मुखर्जी को इंद्राणी ने बताया था कि शीना उसकी बहन है। शीना बोरा और पीटर मुखर्जी के बेटे राहुल मुखर्जी के बीच भी करीबी थी। शीना के अचानक साल 2012 में गायब हो जाने के बाद राहुल ने उसे तलाशने का काफी प्रयास किया। जब मामला सामने आया तो जांच में पता चला कि इंद्राणी ने मुंबई के बांद्रा में शीना की गला दबाकर हत्या कर दी और उसके शव को रायगढ़ जिले में दफना दिया। जांच एजेंसियों का दावा था कि शीना बोरा के अवशेष भी मिले थे। इंद्राणी ने इसे खारिज कर दिया था। इंद्राणी के बाद CBI ने उनके दूसरे पति पीटर मुखर्जी को भी गिरफ्तार किया था, जिन्हें 2020 में जमानत मिल गई थी।