कठुआ (जम्मू-कश्मीर), 17 दिसंबर (न्यूज़ हेल्पलाइन) भारत और पाकिस्तान के बीच प्रतिद्वंदता के कारण न सिर्फ सेना और आम लोगों को भुगतना पड़ता है, बल्कि इसकी कीमत जमीनों को भुगतनी पड़ती है। जम्मू और कश्मीर के कठुआ स्थित भारत और पाकिस्तान के सीमा पर भारत की सीमा में बाड़ लगाने और अंतरराष्ट्रीय सीमा की जीरो लाइन के बीच की जमीन पर किसानों ने 20 साल बाद अब जाकर फिर से खेती शुरू की है। ज्ञात हो कि बारम्बार गोलीबारी होने के कारण डर से किसानों ने बॉर्डर क्षेत्र में खेती-किसानी बंद कर दी थी।
इस बारे में खुशी जताते हुए कठुआ के एक स्थानीय किसान राजिंदर माथुर ने कहा कि हमें पाकिस्तान की गोलीबारी के आतंक के तहत खेती बंद करनी पड़ी। सरकार ने हमें बीएसएफ सुरक्षा के तहत अब खेतों में खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया। जिससे हम निर्भीक होकर खेती करना शुरू किए हैं।
वहीं, इस पहल पर बोलते हुए बीएसएफ कमांडेंट अतुल शाह ने कहा कि सीमाओं के पास रहने वाले लोगों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। किसान फॉरवर्ड लाइन पर खेती शुरू करेंगे और हमारे जवान उनकी रक्षा करेंगे। बीएसएफ को इस पहल के लिए किसानों और कृषि विभाग पर गर्व है।
वहीं कठुआ के जिलाधिकारी राहुल यादव ने कठुआ बॉर्डर पर फिर से खेती शुरू होने पर कहा कि हमने किसानों को अपने खेतों को फॉरवर्ड लाइन पर खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया है। किसानों को बीज, खाद जैसी सभी अतिरिक्त सहायता दी जाएगी। खेतों में लौटकर किसान भावुक हो गए। मैं कृषि विभाग और बीएसएफ को धन्यवाद देना चाहता हूं।