चेन्नई, 28 अगस्त 9 (न्यूज हेल्पलाइन) "वे शरणार्थी कहलाने के लिए अनाथ नहीं हैं। हम तमिल उनके साथ हैं।" तमिलनाडु विधानसभा में यह कहते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने आज 28 अगस्त को "श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी शिविर" का नाम बदलकर "श्रीलंकाई तमिल पुनर्वास शिविर" करने की घोषणा की है।
ज्ञात हो कि इससे पूर्व कल शुक्रवार 27 अगस्त को मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य में रह रहे श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों के कल्याण के लिए 317.4 करोड़ रुपए की योजनाओं की घोषणा की थी। अपनी घोषणा में उन्होंने तमिलनाडु विधानसभा को बताया था कि उनकी सरकार 231.54 करोड़ रुपए खर्च करके तमिलनाडु के विभिन्न शिविरों में बसे श्रीलंकाई तमिल शरणार्थीयों के लिए 7,469 घर बनाएगी।
अपनी घोषणा में एमके स्टालिन ने बताया कि द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) सरकार श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों के कल्याण के लिए लाई गई इस योजना के पहले चरण में 108.81 करोड़ रुपए की लागत से 3,520 घर बनाने की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य बेहतर रहने की स्थिति सुनिश्चित करना और तमिल शरणार्थियों के लिए आजीविका प्रदान करना है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने विधानसभा को बताया कि 30 करोड़ रुपए की लागत से श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी शिविरों में बिजली, पेयजल और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। द्रमुक सरकार श्रीलंकाई तमिल जीवन सुधार योजना शुरू करने के लिए 5 करोड़ रुपए की राशि आवंटित भी करेगी।
इसके अलावे तमिलनाडु सरकार 50 उच्च अंक प्राप्त श्रीलंकाई तमिल छात्रों के उच्च शिक्षा और छात्रावास का पूरा खर्च भी उठाएगी। इसी प्रकार कृषि एवं कृषि इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम के प्रथम पांच विद्यार्थियों तथा सभी स्नातकोत्तर छात्रों की शैक्षणिक एवं छात्रावास फीस भी वहन करेगा। सरकार इस उद्देश्य के लिए हर साल ₹1 करोड़ रुपए आवंटित करेगी।
ज्ञात हो कि साल 1983 से श्रीलंका से तमिल शरणार्थी के रूप में कुल 3,04,269 लोग तमिलनाडु आ चुके हैं, और वे राज्य के 29 जिलों के 108 शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। शिविर के बाहर भी कुछ शरणार्थी रह रहे हैं।