मुजफ्फरपुर (बिहार), 2 दिसंबर (न्यूज़ हेल्पलाइन) बिहार के मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद ऑपरेशन के कारण डॉक्टरों द्वारा बरती गई लापरवाही के कारण अब तक 15 से ज्यादा लोगों की आंख निकालनी पड़ गई है। मेडिकल नेगलिजेंस की इस घटना पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने बिहार सरकार को नोटिस जारी किया है।
कल 1 दिसंबर को जारी प्रेस विज्ञप्ति में NHRC ने कहा है कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है जिसमें कहा गया है कि 22 नवंबर, 2021 को बिहार के मुजफ्फरपुर नेत्र अस्पताल में मोतियाबिंद सर्जरी के कारण श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, एसकेएमसीएच में छह रोगियों की आंखें निकालनी पड़ी थीं। डॉक्टरों ने बताया है कि सर्जरी के संक्रमण के कारण और भी रोगियों की आंखें निकालनी पड़ सकती हैं। कथित तौर पर, चिकित्सा प्रोटोकॉल के अनुसार, एक डॉक्टर 12 सर्जरी तक कर सकता था, लेकिन इस मामले में, एक डॉक्टर ने 65 रोगियों की सर्जरी की।
आयोग ने पाया है कि यदि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री सही है तो यह मानव अधिकारों के उल्लंघन का एक गंभीर मुद्दा है। सरकारी अस्पताल में इस तरह की लापरवाही से आंखों का ऑपरेशन करना, मेडिकल प्रोटोकॉल के नियमों के उल्लंघन का एक गंभीर मामला है।
तदनुसार, आयोग ने मुख्य सचिव, बिहार सरकार को नोटिस जारी कर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इस रिपोर्ट में आंखें गंवाने वाले रोगियों की सटीक संख्या, उन्हें प्रदान किए जा रहे चिकित्सा उपचार की स्थिति और राज्य सरकार द्वारा उन्हें प्रदान की गई सुविधाओं सहित जिम्मेदार अधिकारियों / डॉक्टरों के खिलाफ की गई कार्रवाई शामिल है। प्रतिक्रिया 4 सप्ताह के भीतर अपेक्षित है।
1 दिसंबर, 2021 की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर मामलों में मरीजों का कॉर्निया बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है और उनके दिमाग तक संक्रमण पहुंचने की संभावना है। छह मरीजों की हालत बेहद गंभीर है। अस्पताल के अधिकारियों ने मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की और जांच होने तक इस घटना की सूचना जिला प्रशासन या राज्य के स्वास्थ्य विभाग को नहीं दी। अधिकारियों ने कथित तौर पर मुजफ्फरपुर नेत्र अस्पताल में गतिविधियों को रोक दिया है और एसीएमओ के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम मामले की जांच कर रही है।
ज्ञात हो कि मुजफ्फरपुर के आई हॉस्पिटल में विगत 22 नवंबर से लेकर 27 नवंबर तक मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए हुए कैम्प में ऑपरेशन के दौरान बरती गई लापरवाही के कारण अब तक 15 लोगों की आंख निकालनी पड़ गई है, और 9 से ज्यादा लोगों की जांच की जा रही है। संख्या अभी और भी बढ़ सकती है। हालांकि बिहार सरकार और स्थानीय प्रशासन ने इस मामले में पीड़ितों को आर्थिक सहायता और मुआवजे की घोषणा की है।