वडोदरा, 29 मई 2021
देश भर में एक के बाद एक अलग महामारी ने लोगों को और स्वास्थ्य विभाग को परेशान कर रखा है। एक तो पहले से कोरोना संक्रमण ने लोगों को जिना मुश्किल कर दिया है, उसके बाद ब्लैक फ़ंगस, व्हाइट फ़ंगस, येल्लो फ़ंगस और अब एस्परगिलोसिस इन्फ़ेक्शन लोगों पर कहर ढाने लगी है। गुजरात में ब्लैक फंगस के कई मामले आने के बाद अब एक और फंगल इंफेक्शन का खतरा मंडराने लगा है इस फंगल इंफेक्शन का नाम है एस्परगिलोसिस है। मिलीं जानकारी के मुताबिक यह बीमारी कोरोना संक्रमितों या फिर कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों को हो रही है। डॉक्टरो के लिए यह बीमारी एक नई चुनौती का कारण बन चुकी है।
बता दें, वडोदरा के एसएसजी अस्पताल में इस नए इंफेक्शन के 8 मरीज पाए गए हैं। डॉक्टरो का मानना है पलमोनरी एस्परगिलोसिस आमतौर पर इम्यूनो-कॉम्प्रोमाइज्ड मरीजों में देखा जाता है। लेकिन साइनस का एस्परगिलोसिस दुर्लभ है, जो अब कोरोना से ठीक हो चुके या कोरोना संक्रमित रोगियों में देखने को मिल रहा है। इस बीमारी के रोगीयो का ख़ास ख़्याल रखना पड़ता है।डॉक्टरो के अनुसार फंगल इंफेक्शन के अचानक से इतने ज्यादा मामले इसलिए देखने को मिल रहे हैं क्योकि कोरोना मरीजों में स्टेरॉयड का ज़्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है और ऑक्सीजन की मात्रा को बनाए रखने के लिए नॉन स्टरलाइट पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो साइनस पल्मोनरी एस्परगिलोसिस को एक दुर्लभ बीमारी है, जो एस्परगिलस के कारण होने वाला एक संक्रमण है। एस्परगिलोसिस एक प्रकार के मोल्ड (कवक) के कारण होने वाला संक्रमण है। एस्परगिलोसिस संक्रमण से होने वाली बीमारियां आमतौर पर मरीज को सांस लेने में दिक्कत करती है। लेकिन इनके लक्षण और गंभीरता अलग-अलग हो सकते है। बीमारियों को ट्रिगर करने वाला मोल्ड यानी कवक एस्परगिलस, घर के अंदर और बाहर हर जगह मौजूद होता है।
एस्परगिलोसिस इन्फ़ेक्शन के कई लक्षण है जैसे सीने में दर्द होना, खांसी के साथ खून आना, तेज बुखार आना, खांसी होना और सांस लेने में कठिनाई होना
ब्लैग फंगस की अगर बात करें तो इसके होने का मुख्य कारण भी स्टेरॉयड का अत्यधिक इस्तेमाल होना और शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता का कमजोर होना है।एस्परगिलोसिस इन्फ़ेक्शंज़ ब्लैक फ़ंगस जितना तेज़ी से नहीं फैलता लेकिन यह उससे ज़्यादा घातक हो सकता है।