पटना, 1 जुलाई 2021 आम भारतीयों के मन में यह बात गांठ बंधी हुई है कि मंत्री-नेतागण का रौब बहुत ज्यादा होता है। मगर कभी-कभी कुछ ऐसा घटनाएं हो जाती है, जिससे लोगों कि यह अवधारणा समाप्त होने लगती है। ऐसा ही कुछ बिहार में हुआ है। बिहार सरकार में मंत्री मदन साहनी ने अपने इस्तीफे में कुछ ऐसी बातों का जिक्र किया है, जो लोगों को सोचने पर मजबूर कर देगा।
बिहार सरकार में समाज कल्याण मंत्री मदन साहनी ने अपने इस्तीफे में लिखा है, “मैं नौकरशाही के विरोध में इस्तीफा दे रहा हूं। मुझे मिले आवास या वाहन से मैं संतुष्ट नहीं हूं क्योंकि अगर मैं लोगों की सेवा नहीं कर सकता, अगर अधिकारी मेरी बात नहीं मानते हैं तो लोगों का काम नहीं चलेगा। अगर उनका काम नहीं हो रहा है तो मुझे इसकी जरूरत नहीं है।”
मदन साहनी ने बिहार सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार के निर्णयों में उन्हे उनकी हमेशा से अनदेखी का सामना करना पड़ा है। मदन साहनी ने समाज कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद पर मनमानी का आरोप लगाया और कहा कि विभाग में सारे नियम-कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
मदन साहनी ने आगे कहा कि समाज कल्याण विभाग में कई वर्षों से कई अधिकारी जमे हुए हैं और मनमाना काम कर रहे हैं। हमने उन सभी अधिकारियों की लिस्ट अपर मुख्य सचिव के सामने रखी पर उसको देखने वाला कोई नहीं है। इसके साथ ही मदन साहनी ने आरोप लगाया कि पिछड़ा होने के कारण उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है।
विदित हो कि मदन साहनी द्वारा लगाए गए आरोप बहुत गंभीर हैं और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इन मुद्दों पर ध्यान देना और समाधान करना चाहिए। प्रश्न उठता है कि जहां पर एक मंत्री प्रताड़ित हो सकता है वहां पर आम जन के साथ न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है।