नई दिल्ली, 25 फरवरी (न्यूज़ हेल्पलाइन) एक समय था जब रक्षा उपकारों के लिए भारत विदेशों पर पूरी तरह से आश्रित था। मगर रक्षा मामलों में आत्मनिर्भरता के लिए प्रयासरत भारत ने विगत कुछ समय में इस दिशा में मीलों का फ़ासला तय किया। हालांकि इस दिशा में भारत पूरी तरह से आत्मनिर्भर नहीं हुआ है, मगर विगत दिनों कुछ रक्षा उपकरणों का निर्यात करके भारत ने खुद को रक्षा उपकरण के निर्यातक देशों में अपना नाम जरूर दर्ज करा लिया है। विगत 1 फरवरी को पेश केंद्रीय बजट में भी रक्षा क्षेत्र के लिए अच्छा आवंटन किया गया है। बजट में विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों यथा- शिक्षा, कृषि आदि के बाद आज रक्षा क्षेत्र के लिए बजट में आवंटन विषय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने वेबिनार को संबोधित किया।
पीएम नरेंद्र मोदी ने बजट के बाद के वेबिनार 'डिफेंस-कॉल टू एक्शन' (Aatmanirbharta in Defence-Call to Action) में उद्घाटन भाषण में कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, भारत अपने रक्षा क्षेत्र में 'आत्मनिर्भर भारत' पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। आप इस साल के बजट में भी इसके लिए प्रतिबद्धता देख सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान और आजादी के ठीक बाद भी, हमारी रक्षा निर्माण क्षमता बहुत अधिक थी। द्वितीय विश्व युद्ध में, भारत में निर्मित हथियारों ने एक प्रमुख भूमिका निभाई। हालांकि, बाद के वर्षों में, यह ताकत कमजोर हो गई। लेकिन इससे पता चलता है कि भारत में क्षमताओं की कभी कमी नहीं रही।
वेबिनार में प्रधानमंत्री (PM Modi) ने आगे कहा कि सुरक्षा का मुख्य सिद्धांत यह है कि आपकी अपनी अनुकूलित और अनूठी प्रणाली होनी चाहिए। यदि 10 देशों के पास एक ही प्रकार के रक्षा उपकरण होंगे, तो आपके रक्षा बलों में कोई विशिष्टता नहीं होगी। विशिष्टता और आश्चर्य तभी संभव है जब उपकरण आपके अपने देश में विकसित हों।
इस बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटन पर बोलते हुए पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि यह बजट अनुसंधान, डिजाइन और विकास से लेकर विनिर्माण तक एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने का एक खाका है। रक्षा आवंटन का लगभग 70% सिर्फ घरेलू उद्योग के लिए रखा गया। अब तक रक्षा मंत्रालय ने 200 से अधिक रक्षा प्लेटफार्मों और उपकरणों की स्वदेशीकरण सूची जारी की है। इस सूची की घोषणा के बाद घरेलू खरीद के लिए करीब 54,000 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। इसके अलावा, 4.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के उपकरणों से संबंधित खरीद प्रक्रिया विभिन्न चरणों में है। तीसरी लिस्ट जल्द आने वाली है।
वेबिनार में पीएम ने आगे कहा कि जब हम हथियार और गोला-बारूद का आयात करते हैं, तो प्रक्रिया इतनी लंबी होती है कि जब तक वे हमारे सुरक्षाबलों तक पहुंचते हैं, उनमें से कई पुराने हो जाते हैं। इसका समाधान 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' और मेक इन इंडिया में निहित है।
बजट के बाद के वेबिनार 'रक्षा-कॉल टू एक्शन' (Aatmanirbharta in Defence-Call to Action) में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की सूचना प्रौद्योगिकी शक्ति हमारी प्रमुख ताकत है। हम अपने रक्षा क्षेत्र में इस ताकत का जितना अधिक उपयोग करेंगे, हम सुरक्षा के बारे में उतने ही अधिक आश्वस्त होंगे।
रक्षा क्षेत्र में अपनी सरकार के उपलब्धियों पर बोलते हुए पीएम मोदी (
PM Modi) ने कहा कि सरकार के मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के परिणामस्वरूप, पिछले 7 वर्षों में रक्षा निर्माण के लिए 350 से अधिक नए औद्योगिक लाइसेंस जारी किए गए हैं। 2001 से 2014 तक केवल 200 ऐसे लाइसेंस जारी किए गए थे।