नई दिल्ली, 2 जून 2021 - आज बुधवार 2 जून को रिटायर जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) आयोग के पदभार को संभाल लिया। ज्ञात हो कि अरुण कुमार मिश्रा के नाम के प्रस्ताव आते ही यह पद विवादों में आ गया था। इसलिए यह आशंका जाहिर की जा रही थी कि शायद वे पदभार संभालने में विलंब करें। परंतु आज जब उन्होंने पद संभाला तो सभी किंतु-परंतु पर विराम लग गया।
बता दें कि NHRC के चेयरमैन का पद पिछले छह महीनों से खाली पर हुआ था। जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस महेश कुमार मित्तल और आईबी के पूर्व निदेशक डॉ राजीव जैन ने भी सदस्य के तौर पर NHRC के सदस्य का कार्यभार संभाला।
विदित हो कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन के चयन के लिए गठित कमेटी के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे। इस चयन समिति के अन्य सदस्य लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा के उपसभापति हरिवंश और राज्यसभा के विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे थे। समिति की तरफ से जैसे ही अरुण कुमार मिश्रा का नाम आया, मल्लिकार्जुन खड़गे ने विरोध किया और जब उनकी बात नहीं मानी गई तो उन्होंने स्वयं को इस चयन से अलग कर लिया।
जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा के चयन पर विवाद इसलिए किया था क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उन्हें यह पद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने के फलस्वरूप प्राप्त हुआ है। ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रहते हुए ही अरुण कुमार मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुली प्रशंसा की थी, जिस पर सभी ने आश्चर्य व्यक्त किया था।
अरुण कुमार मिश्रा का जन्म 3 सितंबर 1955 को हुआ था। 1978 में उन्होंने वकालत आरंभ की और बहुत से हाई कोर्ट के जज बनने के बाद साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट जॉइन किया और बहुत से बड़े फैसलों के सहभागी रहें। आज उनके द्वारा NHRC चेयरमैन का पद संभालने से महीनों से खाली यह रिक्त स्थान भर गया है।