भोपाल, 06 मई । वयोवृद्ध पत्रकार और राष्ट्रीय भावधारा के लेखक भगवतीधर वाजपेयी (96 वर्ष) का जबलपुर में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके निधन से राष्ट्रवादियों, पत्रकार, साहित्यकारों में शोक की लहर छा गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत कई दिग्गज नेताओं और भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने गहरा दुख व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री चौहान ने ट्वीटर पर लिखा, वरिष्ठ पत्रकार और राष्ट्रीय भावधारा के लेखक भगवतीधर वाजपेयी के निधन से दु:ख हुआ। आपातकाल में भी निडरता से उनकी कलम चलती रही और वे राष्ट्र एवं जनता की अवाज उठाते रहे। सच्चाई और मूल्यों की रक्षा के लिए संघर्ष करने वाले पत्रकार के रूप में वे सदैव याद आएंगे। ॐ शांति!
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने ट्वीटर पर लिखा, छात्र जीवन से एक अभिभावक की तरह मेरा मार्गदर्शन करने वाले, वरिष्ठ नेता एवं पत्रकार भगवतीधर वाजपेयी के निधन से अत्यंत दुःख हुआ। पत्रकारिता के समय से अटलजी के साथी रहे भगवतीधर जी ने हमेशा मूल्यों पर आधारित पत्रकारिता की। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं जबलपुर सांसद राकेश सिंह ने कहा कि दादा भगवतीधर वाजपेयी आज गोलोक गमन कर गये, यह समाचार अत्यन्त दुखद है। दादा के निधन से मूल्य आधारित, ध्येययनिष्ठ, राजनीति और पत्रकारिता के एक युग का अवसान हुआ है। जबलपुर ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण मध्य प्रदेश के लिए यह अपूरणीय क्षति है। दादा ने सदैव अपने आचरण से लोगों का मार्गदर्शन किया। राजनीतिक, सामाजिक, पत्रकारिता सहित सभी क्षेत्रों में दादा का योगदान सदैव याद किया जाएगा।
आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने दुख जताते हुए कहा कि राष्ट्रीय भावधारा को समर्पित था उनका जीवन। उन्होंने कहा कि 1957 में नागपुर में युगधर्म के संपादक के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने 1990 तक सक्रिय पत्रकारिता करते हुए युवा पत्रकारों की एक पूरी पौध तैयार की। उनकी समूची पत्रकारिता में मूल्यनिष्ठा, भारतीयता, संस्कृति के प्रति अनुराग और देशवासियों को सामाजिक और आर्थिक न्याय दिलाने की भावना दिखती है। वर्ष 1952 में स्वदेश के माध्यम से अपनी पत्रकारिता का प्रारंभ करने वाले वाजपेयी का निधन एक ऐसा शून्य रच रहा है, जिसे भर पाना कठिन है।
प्रो. द्विवेदी के मुताबिक 2006 में वाजपेयी को मध्यप्रदेश शासन द्वारा माणिकचन्द्र वाजपेयी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। प्रो.द्विवेदी ने कहा कि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी एक विचार के लिए लगा दी और संघर्षपूर्ण जीवन जीते हुए भी घुटने नहीं टेके। आपातकाल में न सिर्फ उनके अखबार पर ताला डाल दिया गया, वरन उन्हें जेल भी भेजा गया। इसके बाद भी न तो झुके, न ही डिगे।
वरिष्ठ पत्रकार वाजपेयी ने युगधर्म (नागपुर-जबलपुर) के संपादक के रूप में रहते हुए अपनी तेज धारवाली पत्रकारिता के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना का विस्तार किया था। वे सिर्फ एक पत्रकार ही नहीं, मूल्य आधारित पत्रकारिता और भारतीयता के प्रतीक पुरुष थे। उनका समूचा जीवन इस देश की महान संस्कृति के प्रचार-प्रसार में समर्पित रहा है।