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पहले भारतीय पैरापैलेजिकिक बनने का खिताब अपने नाम कर चुके हैं ​शांतनु​​​​​

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Posted On:Wednesday, April 21, 2021

नई दिल्ली, 21 अप्रैल ​​।​ ​​​​भारतीय ​​वायुसेना​ के ​विंग कमांडर ​​शांतनु​ ​​​​टोक्यो​ ​में ​अगले माह होने वाले विश्व रोइंग एशिया/ओशिनिया कॉन्टिनेंटल ओलंपिक और पैरालिंपिक्स क्वॉलिफाइर्स में भारत का ​​प्रतिनिधित्व ​करेंगे। ​एक सड़क दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी में गंभीर नुकसान पहुंचने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और ​​चुनौतीपूर्ण ​स्थितियों का सामना​ करते हुए ​​पहले भारतीय पैरापैलेजिकिक बनने का खिताब अपने नाम कर चुके हैं​​​।​​ ​
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​​भारतीय वायुसेना​ के ​विंग कमांडर ​​शांतनु​ की रीढ़ की हड्डी में ​जनवरी​,​ 2017 में एक मोटर​ ​साइकिल दुर्घटना​ के दौरान गंभीर नुकसान पहुंचा था​।​​ वह करीब दो महीने तक वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। ​इसके बाद उन्हें एमएच किरकी, पुणे में स्पाइनल कॉर्ड इंजरी वार्ड (एससीआईसी वार्ड) में स्थानांतरित कर दिया गया। वहां उन्होंने एक्वा थेरेपी और हाइड्रो थेरेपी शुरू की​ जिससे उन्हें काफी आराम मिला​​​।​​​ ​उन्होंने जून​,​ 2018 में पैरालंपिक तैराकी संघ द्वारा आयोजित महाराष्ट्र राज्य स्तरीय तैराकी चैम्पियनशिप में दो स्वर्ण पदक जीतकर प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में तैराकी को चुना।​​
 
रीढ़ की हड्डी में चोट के बावजूद हौसला बरकरार रखते हुए उन्होंने अप्रैल​,​ 2019 में खेल ​के क्षेत्र ​को​ ही अपने करियर के रूप में चुना​​।​​​ ​उन्हें अक्टूबर​,​ 2019 ​में ​​​​दक्षिण कोरिया में आयोजित​ ​​​​एशियाई रोइंग प्रशिक्षण शिविर और चैम्पियनशिप के लिए द रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा चुना गया। ​शांतनु​ ​​एशिया में 5वें स्थान पर रह​कर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले ​​पहले भारतीय पैरापैलेजिकिक बने।​​
 
इस तरह देखा जाए तो विंग कमांडर शांतनु धैर्य और दृढ़ संकल्प की पहचान हैं। वह ​उन सभी लोगों के लिए ​सच्ची प्रेरणा ​हैं, जो जीवन में ​​चुनौतीपूर्ण​ स्थितियों का सामना कर ​रहे हैं​। भारतीय वायुसेना ​भी इस तरह का हौसला रखने वाले ​अपने कर्मियों को देश सेवा के लिए प्रोत्साहित और प्रेरित करती रहती है।


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