ऋषिकेश , 21 मई | कोरोना वायरस की दूसरी लहर लगातार अपना कहर दिखा रही है. एक के बाद एक कई बुरी खबरें सामने रही हैं. शुक्रवार को मशहूर पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा का कोरोना संक्रमण की वजह से निधन हो गया. ये जानकारी ऋषिकेश एम्स की तरफ से दी गई है. एम्स में उनका इलाज चल रहा था.
सुंदरलाल बहुगुणा को 8 मई को ही कोरोना संक्रमित होने के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां शुक्रवार (21 मई) को दोपहर 12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक संक्रमण की वजह से उनका ऑक्सीजन काफी कम हो गया था जिसकी वजह से उनका निधन हुआ.
सुंदरलाल बहुगुणा की उम्र 94 साल थी. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर अपना दुःख व्यक्त करते हुए ट्वीट किया है कि चिपको आंदोलन के प्रणेता, विश्व में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध महान पर्यावरणविद् पद्म विभूषण श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के निधन का अत्यंत पीड़ादायक समाचार मिला। यह खबर सुनकर मन बेहद व्यथित हैं। यह सिर्फ उत्तराखंड के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण देश के लिए अपूरणीय क्षति है।
सुंदरलाल बहुगुणा का जन्म उत्तराखंड के टिहरी में हुआ था. महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर चलने वाले सुंदरलाल बहुगुणा ने जंगलों और पेड़ों की सुरक्षा के लिए 1970 में आंदोलन शुरू हुआ जो कि देखते ही देखते पूरे भारत में फैलने लगा. 26 मार्च, 1974 को चमोली जिले जब ठेकेदारों के वर्कर्स पेड़ काटने के लिए वहां पहुंचे थे तो वहाँ की ग्रामीण महिलाएं उस समय पेड़ से चिपककर खड़ी हो गईं, जिसे दुनियाँ चिपको आंदोलन के नाम से जानती है
सुंदर लाल बहुगुणा ने टिहरी बांध के खिलाफ आंदोलन में भी अहम भूमिका निभाई थी. महात्मा गांधी से प्रेरणा लेकर सुंदरलाल बहुगुणा ने हिमालय के बचाव का काम शुरू किया और उसके लिए ही जिंदगीभर आवाज़ उठाई और कई बार भूख हड़ताल की, यही कारण है कि उन्हें हिमालय का रक्षक भी कहा गया.