मुंबई, 17 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परिसर में जिस जगह शिवलिंग मिला है, उस जगह को सुरक्षित रखा जाए। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि लोगों को नमाज अदा करने से रोका न जाए। सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की बेंच में हुई। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कराने को लेकर वाराणसी कोर्ट के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका की सुनवाई के दौरान दिया।
मुस्लिम पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे हुफैजा अहमदी से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह याचिका पूजा की जिस तरह मांग की गई है, इससे तो हालात ही बदल जाएंगे। अहमदी ने कहा कि इसी अदालत ने कहा था कि 15 अगस्त 1947 को जो धर्म स्थल जिस स्थिति में थे, उन्हें बदला नहीं जा सकता। इस तरह के ऑर्डर (वाराणसी कोर्ट) में साजिश की बहुत आशंका है। उन्होंने आगे कहा कि आप परिसर को सील कैसे कर सकते हैं। गैरकानूनी निर्देशों की झड़ी लगी हुई है। अगर आप परिसर को सील कर देंगे तो ये यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश का उल्लंघन होगा। आप लोअर कोर्ट के सभी फैसलों पर रोक लगाने का आदेश दें। जिस पर यूपी सरकार की और से तुषार मेहता ने कहा कि वजूखाने में शिवलिंग मिला है, जो हाथ-पैर धोने की जगह है। नमाज की जगह अलग होती है। उन्होंने आगे कहा कि अगर नमाज पढ़ने की इजाजत दी गई तो शिवलिंग को नुकसान पहुंच सकता है। मेहता ने आगे कहा कि अगर किसी ने शिवलिंग पर पैर लगा दिया तो कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो सकती है।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह मामला मालिकाना हक का नहीं है, पूजा करने की परमिशन मांगी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि हम आदेश देंगे कि आपने जो आवेदन दाखिल किया है, सिविल कोर्ट उसका जल्द निपटारा करे। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि अगर शिवलिंग मिला है, तो उसे सुरक्षित रखा जाए। साथ ही नमाजियों को न रोका जाए। कोर्ट ने कहा कि 19 मई को अगली सुनवाई होगी। हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष दोनों शामिल रहे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जज ने शिवलिंग वाली जगह बोलने का इस्तेमाल किया तो, इस पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि मामला अभी विवादित है। ऐसे में शिवलिंग मिलने वाली जगह न कहा जाए, जिसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम ऑर्डर में इसे इंडिकेट कर देंगे।