सूरत,28 अगस्त ( न्यूज हेल्पलाइन )
सूरत एयरपोर्ट रनवे 22 सिटी एन्ड पर वेसू में उड़ानों के लिए लैंडिंग और टेक ऑफ के लिए बाधा बनने वाली इमारतों में एक और मुश्किल अब सामने आ चुकी है। इन प्रोजेक्ट की इमारतों में अब अब लोन लेकर घर ले पाना संभव नहीं है क्योंकि बैंकों की तरफ से इनपर फिलहाल अभी लोन जारी नहीं होगा। यह बात कन्फेडरेशन ऑफ़ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन (क्रेडाई )सूरत ने कही है ,क्योंकि इमारती बाधा के मद्देनजर अब ये इमारते डाउटफुल में आ चुकी हैं जिससे इन पर अब नए सिरे से लोन फिलहाल मिलना मुश्किल है। जब तक इस मामले में कोई ठोस समाधान नहीं हो जाता तब तक यह समस्या बनी रहेगी। उल्लेखनीय है कि सूरत एयरपोर्ट रनवे पर विमानों की लैंडिंग और टेक ऑफ में अवरोध बनने वाली इमारतों को लेकर हाई कोर्ट ने 30 नवंबर तक मनपा से कम्प्लाइंस रिपोर्ट सौंपने कहा है और 2 दिसंबर के पहले इन इमारतों के अवरोध बनने वाले हिस्से को डिमोलिशन करने का आदेश दिया है।
इस सवाल पर की इन 40 प्रोजेक्ट के रनवे में बाधा स्वरूप कुल 198 इमारतों में अगर कोई व्यक्तिगत रूप से घर खरीदना चाह रहा है तो क्या बैंक द्वारा इसपर होम लोन अप्रूव होगा ?इस पर जवाब देते हुए क्रेडाई प्रमुख रवजीभाई पटेल ने बताया कि फिलहाल अब किसी बैंक द्वारा इन पर लोन अप्रूव नहीं होगा। क्योंकि बैंक की नजरों में अब इसे संदेहास्पद मान लिया गया है यानि अब इमारते डाउटफुल हैं। जिन लोगों ने इन इमारतों में घर लिया उन्होंने तमाम पेपर देख कर लिया।इसमें एयरपोर्ट से एनओसी भी है साथ ही इमारत की बीयूसी भी है। ऐसे में गलती कहाँ पर है ये किसी को पता नहीं है। इससे पहले डीजीसीए ने भी बिल्डर के पक्ष में ही फैसला दिया था लेकिन अब जो कोर्ट का आदेश है उसके आधार पर फिलहाल लोन नहीं मिल सकता।
प्रभावित होने वाली इमारतों में से निवासी ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि मैंने यहाँ घर खरीदने के लिए पांच साल पहले करोड़ों का बैंक लोन ले रखा है।तमाम पेपर कागजात सब कुछ संबधित विभाग द्वारा जारी हुए थे जिसे देखकर ही हमने इसमें घर लिया और अब अचानक जिस तरह से रोजाना हम अख़बार सोशल मीडिया ,चैनल पर कार्रवाई की खबरे सुन रहे है तो हमारे अंदर निगेटिव विचार आने लगे है। स्थिति ऐसे हो चली है कि हम टॉर्चर जैसे महसूस कर रहे हैं ऐसे में आत्महत्या तक के ख्याल आने लगे हैं। उम्मीद है कि केंद्र सरकार और कोर्ट हमारे भविष्य को ध्यान में रखते हुए ही कुछ फैसला लेगी। क्योंकि हमें ये नहीं पता था कि घर लेते वक्त इसमें रनवे जैसे मामलो को लेकर विवाद आएगा।
गुरूवार को इस पूरे मामले के पिटीशनर विश्वास भाम्बूरकर से इन प्रभावित होने वाली इमारतों के लोगों ने फेसबुक लाइव के जरिए सीधे सवाल जवाब किये। इसमें एक फ्लैटधारक ने कहा कि आखिर हमें कैसे पता चलता कि घर ले रहे हैं तो ये अवैध है या यहां इमारती बाधा है क्योंकि सारे अप्रूवल्स उस वक्त संबंधित विभाग ने ही दिए थे ?इस पर विश्वास ने कहा कि आपको अब जब इसके बारे में पता चल गया है तो आप इसके लिए कानूनी रास्ता क्यों नहीं अपनाते आप क्यों पुलिस में बिल्डर के खिलाफ एफआईआर नहीं करते। इसी तरह से लोगों ने अलग-अलग कई सवाल रखे जिसपर विश्वास ने जवाबा दिया।
पिटीशनर विश्वास ने बताया कि इन 40 में से 27 प्रोजेक्ट पूरी तरह से अवैध है क्योंकि एयरपोर्ट अथॉरिटी ने एफिडेबिट फाइल करके कहा है कि जिस वक्त हमने इन्हे एनओसी दिया था दरअसल उस वक्त बिल्डरों ने जिस जगह पर इमारत बनाने की अनुमति थी वहां न बना कर जगह ही बदल दिया था जो कि सर्वे करने पर इसकी जानकारी सामने आई। ऐसे में ये 27 प्रोजेक्ट पूरी तरह से अवैध हैं और इन्हे रेग्युलराइज्ड नहीं किया जा सकता।
एक नजर इमारती बाधाओं पर
-कुल 40 प्रोजक्ट
-198 इमारत
-8064 फ्लैट
-1440 फ्लैट बाधा स्वरूप
-4100 करोड़ का इन्वेस्टमेंट
-1000 करोड़ बैंक लोन
रनवे पर असर-
-रनवे की कुल लंबाई 2905 मीटर
-2290 मीटर रनवे ऑपरेशनल
-615 मीटर रनवे लॉक,वेसू एन्ड पर इमारती बाधा के कारण