नई दिल्ली , 4 सितंबर ( न्यूज हेल्पलाइन)
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शुक्रवार को राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा और उनसे निजीकरण के कदम पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया क्योंकि यह मूल्यवान राज्य संपत्ति को स्थानांतरित कर देगा। इसके अलावा पीएम मोदी से स्टालिन ने इस स्कीम को लागू करने से पहले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और राज्य सरकारों की राय लेने का भी आग्रह किया है।
उन्होंने कहा, ‘देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, इस तरह की बड़ी प्राइवेटाइजेशन एक्टिविटी से अमूल्य सरकारी संपत्ति कुछ समूहों और बड़े प्राइवेट संस्थानों के हाथों में आ जाएगी पीएम मोदी से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का ‘प्राइवेटाइजेशन’ करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करते हुए स्टालिन ने कहा कि वे देश के औद्योगीकरण और आत्मनिर्भरता लक्ष्यों में अहम भूमिका निभाते हैं।
स्टालिन ने पत्र में कहा, ‘सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संपत्ति सार्वजनिक संपत्ति है।इनमें से कई भारत को एक औद्योगिक और आत्मनिर्भर देश के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन्हें बनाने के लिए राज्य सरकारों और नागरिकों की जमीन दी गई है, इसलिए लोगों को इन संस्थानों पर गर्व और अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘हमें नहीं पता कि इस नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना (NMP Scheme) का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा।
स्टालिन ने एक दिन पहले विधानसभा में कहा था कि वह इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखेंगे।सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक, ‘स्टालिन ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि ऐसी इकाइयों को लगाने के लिए सरकारी भूमि के अलावा लोगों की जमीन भी दी गयी थी, इसलिए लोगों को ऐसे उपक्रमों पर गर्व और अधिकार है।
केद्र की नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन स्कीम का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह साफ नहीं है कि यह छोटे और मझोले उद्योगों एवं वहां कार्यरत कर्मियों पर इस स्कीम का क्या असर होगा। स्टालिन ने कहा कि नाम को छोड़ भी दिया जाए तो देश के वर्तमान आर्थिक परिदृश्य पर गौर करने से यह पता चलता है कि बडे़ पैमाने पर ऐसे निजीकरण से सरकारी संपत्तियां कुछ ‘समूहों’ या बड़े निगमों के हाथों में चली जाएंगी।