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मद्रास उच्च न्यायालय ने पुलिस हिरासत से भागे दो दक्षिण कोरियाई नागरिकों के मामले की जाँच सीबीआई को सौंपी।

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Posted On:Thursday, December 16, 2021

चेन्नई, 16 दिसंबर (न्यूज़ हेल्पलाइन)   मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु पुलिस की हिरासत से दो दक्षिण कोरियाई नागरिकों के भागने की सीबीआई जांच करने का आदेश दिया है।
 
न्यायमूर्ति पीएन प्रकाश और न्यायमूर्ति आर हेमलता की खंडपीठ ने दोनों आरोपियों की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सुनवाई के लिए सामने आई तब अदालत ने मौखिक अवलोकन में आदेश जारी किया।
दो कोरियाई नागरिक चोए जे वोन (42) और चोई योंग सुक (47) जो की चोवेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के महाप्रबंधक और प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यरत थे। दोनो फ़रार आरोपियों को कांचीपुरम जिले के निवासियों को जून 2019 में सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 69 के तहत ₹40 करोड़ की जीएसटी धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
उन्हें पुझल सेंट्रल जेल में रखा गया था और नवंबर में उन्हें त्रिची जिले के फॉरेनर्स डिटेंशन कैंप में भेज दिया गया था। अप्रैल 2020 में दोनों ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर उन्हें इस आधार पर कोविड -19 महामारी के कारण कांचीपुरम में अपने ओरगदम निवास में रहने की अनुमति दी क्यूँकि त्रिची शिविर के अधिकारियों ने किसी भी कीटाणुनाशक के छिड़काव के उचित उपाय नहीं किए थे। और वहां सोशल डिस्टेंसिंग का ठीक से पालन नहीं किया गया।
 
हालांकि उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पुलिस सुरक्षा के तहत अपने आवास में हिरासत में रखने की अनुमति दी, जिसके लिए उन्हें राज्य द्वारा किए गए मासिक खर्च का भुगतान करना पड़ा।
राज्य सरकार ने सोमवार को अदालत को सूचित किया कि दोनों नजरबंदी से बच गए हैं और उन्हें संदेह है कि उन्होंने पिछले महीने मणिपुर के रास्ते दक्षिण कोरिया भागने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था। 
मिलीं जानकारी के अनुसार अदालत ने सीबीआई को घटनाओं की जांच करने और 25 जनवरी, 2022 तक प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
बता दें, चौवेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड मोटर वाहनों में इस्तेमाल होने वाले काउल बार, बंपर और सीट फ्रेम के निर्माण कार्य करती है। कंपनी के खिलाफ आरोप यह है कि उसने अपने खरीदारों से जीएसटी एकत्र किया, और अगस्त 2017 से भारत सरकार को इसे प्रेषित नहीं किया।


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