नई दिल्ली , 3 जून 2021
देश में टीकाकरण एक तो पहले से ही कई क्षेत्रों में टिके की कमी की वजह रुका हुआ है। सरकार द्वारा बनाई गई टिकेकरण की नीति को विपक्ष से लेकर हर कोई घेर रहा है। वहीं बुधवार को देश की उच्च न्यायालय यानि सुप्रीम कोर्ट ने 18-44 आयु वर्ग के लोगों के लिए केंद्र सरकार की कोविड-19 टीकाकरण नीति (तीसरे चरण) को मनमाना और तर्कहीन करार दिया है वहीं शीर्ष अदालत ने सरकार से इस नीति के पीछे की सोच को जानना चाहा है।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'पहले दो चरणों के तहत आने वाले समूहों के लिए निशुल्क टीकाकरण और बाद में 18-44 आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिए राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों और निजी अस्पतालों को भुगतान करने की जिम्मेदारी डालने की केंद्र सरकार की नीति प्रथम दृष्टि से मनमाना और तर्कहीन है।'
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह बताने के लिए कहा है कि 2021-2022 के केंद्रीय बजट में टीकों की खरीद के लिए निर्धारित 35,000 करोड़ रुपये में अब तक कितने खर्च किए जा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि आखिर क्यों नहीं इस फंड का इस्तेमाल 18-44 आयु वर्ग के लोगों को निशुल्क टीकाकरण करने के इस्तेमाल किया जाना चाहिए?
बता दें, तीसरे चरण के टीकाकरण को केंद्र सरकार ने नि:शुल्क नहीं रखा है और इसके ऊपर के फ़ैसले को राज्य सरकारों पर छोड़ दिया है जिससे राज्य सरकारें काफ़ी परेशान है। देश में एक जहाँ टिके की कमी से कई जगह टीकाकरण नहीं हो रहा है ऐसे में संक्रमण का बना रहेगा। कई राज्य तीसरे चरण का टीकाकरण (18-44 आयुवर्ग) को नि:शुल्क देने का निर्णय भी किया है।