सूरत,29 मई 2021
साइकिल से काम पर जा रहे 48 वर्षीय व्यक्ति को पुलिस ने रोंग साइड का मेमो थमा दिया। इस बारे में जानकारी देते हुए पांडेसरा के पुलिस कॉलोनी के पास रहने वाले पीड़ित राज बहादुर यादव ने बताया कि सुबह 9 बजे वो अपने काम पर जा रहा था। तभी सचिन दो नंबर गेट के पास पुलिसकर्मियों ने पकड़ लिया। उन्होंने कहा कि काका आप गलत आ रहे हो। राज बहादुर यादव ने कहा कि वो पिछले 13 साल से ऐसे ही इसी रस्ते से आता जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं चलेगा इसके बाद आगे से सीधे रास्ते चलना। राज बहादुर यादव ने अपनी गलती मानी तो पुलिसकर्मियों ने उसका मेमो फाड़ दिया। यादव ने उनसे कहा कि कितना रुपया भरना है तो मेमो थमाकर पुलिसकर्मियों ने कहा कि अठवालाइन्स में जाकर पैसे भरना होगा। यादव ने कहा कि गलती मेरी है जो मैं रोंग साइड से आ रहा था। मैं रोज़ सुबह 8 बजे अपने काम के लिए निकलता हूं और 9 बजे सचिन के बंगला गेट स्थित अपने कारखाने पर पहुँचता हूँ। साइकिल से एक घंटा लगता है घर से कारखाना पहुंचने के लिए। जाँच करने पर पता चला की महिला लोकरक्षक कोमल डांगर नाम की पुलिसकर्मी ने उसका मेमो बनाया था। पुलिसकर्मियों से पूछा कि कहां भरना है। तो कहने लगे कि अठवालाइन्स जाकर ही भरना होगा। यादव ने उन्हें पूछा कि अठवालाइन्स जाएंगे तो भरेंगे कहां। लेकिन वहां कहाँ जाऊं जैसे कलेक्टर ऑफिस जाऊं, आरटीओ जाऊं कोई तो जगह होगी। इस पर पुलिसकर्मियों ने दोबारा कहा कि अठवा लाइन्स जाओ इसके अलावा और कोई पता नहीं दिया है। राज बहादुर ने बताया कि रोज की तरह गुरूवार की सुबह भी वो अपने काम पर जा रहा था। रस्ते में गाभेणी चौकड़ी के पास से रॉंग साइड पर साइकिल लेकर चला गया था। लक्ष्मीपति मिल के पास ही उसे पुलिस ने पकड़ लिया और मेमो बना दिया। यादव ने बताया कि उसके पास से पैसे नहीं लिए और न ही साइकिल जब्त की।
इस बारे में बात करने पर अधिवक्ता आश्विन जोगाडिया ने बताया कि एमवी एक्ट की धारा 184 के तहत मेमो बनाया गया है। लेकिन साइकिल के लिए न तो लाइसेंस लगता है, न पीयूसी होता है और न ही इन्शुअरन्स होता है। इसलिए इसे मोटर व्हीकल अधिनियम के तहत नहीं लिया जा सकता है।
धारा 184 के तहत खतरनाक तरीके से वाहन चलाने वाला व्यक्ति, मामले की सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, स्थल, स्थिति और उपयोग सहित, जिस गति से वाहन चलाया जाता वो लोगों के लिए खतरनाक है। पहला अपराध छह महीने तक की कैद या एक हजार रुपये तक के जुर्माने से दंडनीय है। किसी अन्य या बाद के अपराध के लिए कारावास जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना जो दो हजार रुपये से अधिक हो सकता है, या दोनों।
इस बारे में बात करते हुए ट्रैफिक डीसीपी प्रशांत सुंबे ने बताया कि जिस कर्मचारी ने ये मेमो बनाया है उसने धाराएं गलत लगाई हैं। हम उसमें धाराएं बदलकर एमवी एक्ट 184 के बदले जीपी एक्ट 99 के लगा देंगे। उसके लिए रामबहादुर को ढूंढेंगे और बदलाव कर देंगे।
मैंने बुक में बदलाव कर दिया: कोमल डांगर
मैंने साइकिल चलाने वाले गलती से एमवी एक्ट 184 का मेमो दे दिया। उसके बाद में मेमो बुक में सुधार कर दिया। मुझे जीपी एक्ट के तहत मेमो देना था।
सूरत आरटीओ के हार्दिक पटेल ने कहा कि साइकिल एमवी एक्ट के अंतर्गत नहीं आती है। नियमों के मुताबिक साइकिल के मेमो के पैसे नहीं वसूल सकते।
एसीपी मेवाड़ा ने बताया कि गाभेणी के पास लगातार एक्सीडेंट के मामले बढ़ रहे थे। इसलिए एक टीम को रॉंग साइड से आने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लगाया गया था।