पटना, 29 जुलाई 2021
बिहार के गोपालगंज जिले के दो किशोरों ने बुधवार शाम को ऑनलाइन गेम खेलने के लिए उनके माता-पिता द्वारा डांटे जाने के बाद अलग-अलग घटनाओं में आत्महत्या का प्रयास किया। घटना जिले के उचकागांव और मांझागढ़ थाना क्षेत्र की है।
पुलिस ने दावा किया कि 12 से 14 साल की उम्र के दो नाबालिग लड़के ऑनलाइन गेम के आदी हो गए थे।
गोपालगंज पुलिस ने बताया कि पहली घटना मांझागढ़ थाना क्षेत्र के नवकटोला गांव में एक 14 वर्षीय युवक ने अपने घर में पंखे से लटक कर जान दे दी, लेकिन समय रहते उसे नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया जहां डॉक्टर ने उसे गंभीर हालत में सदर अस्पताल रेफर कर दिया।
लड़के के पिता ने कहा कि उसकी मां के डांटने के तुरंत बाद लड़का बेहद परेशान होकर कमरे में चला गया। काफी देर तक जब वह बाहर नहीं आया तो परिजन ने बाथरूम का दरवाजा तोड़ा और उसे छत से लटका पाया हालाँकि वह ज़िंदा था।
इस बीच लड़के के पिता ने सरकार से इस तरह के खेलों पर रोक लगाने की अपील की।
उन्होंने कहा, “जब भी हमने उसे खेल खेलने से रोका तो मेरा बच्चा उदास हो गया। मैं नहीं चाहता कि ऐसी घटना दोबारा हो। मैं सरकार से इस तरह के खेलों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करता हूं।”
वहीं ज़िले में दूसरी घटना, उचकागांव थाना क्षेत्र के अरना बाजार गांव निवासी 12 वर्षीय स्कूली बच्चे ने अपने घर के एक कमरे में तौलिये से फांसी लगा ली जब उसकी मां किचन में खाना बना रही थी।
लड़के के माता-पिता के मुताबिक उसे फ्री फायर नाम का गेम खेलने की लत थी जिसके लिए उसे फटकार लगाई गई थी। लड़के के पिता ने बुधवार शाम को अपने बेटे को खेल खेलने से रोकने के प्रयास में फोन जब्त कर लिया। बच्चे ने कमरे में तौलिए से फाँसी लगा ली और उसे बेहोशी की हालत में सदर अस्पताल ले जाया गया जबकि डॉक्टर ने उसे आगे के इलाज के लिए गोरखपुर रेफर कर दिया।
विशेषज्ञों के अनुसार इंटरनेट गेमिंग डिसऑर्डर एक लत की तरह है। इस वजह से व्यक्ति दूसरे कामों में दिलचस्पी नहीं दिखाता और सिर्फ जुआ/ खेल खेलने का आदी हो जाता है।ऐसी लत को रोकने के लिए माता-पिता को बच्चों के ऑनलाइन व्यवहार पर जल्द नजर रखने की जरूरत है। बच्चों के मोबाइल उपयोग को माता-पिता द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए। उन्हें नियमित रूप से अपने इंटरनेट और मोबाइल उपयोग का मूल्यांकन करना चाहिए वरना यह खेल बच्चे की जान का सबब बन सकता है।