नई दिल्ली, 16 जून 2021 केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के 'डीप ओशन मिशन' प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी। 'डीप ओशन मिशन' का उद्देश्य गहरे समुद्र में संसाधनों के लिए का पता लगाना और समुद्र के संसाधनों के सतत उपयोग के लिए गहरे समुद्र में प्रौद्योगिकियों का विकास करना है।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 'डीप ओशन मिशन' प्रस्ताव मंजूरी पर बोलते हुए कहा कि यह एक एक दूरदृष्टि से भरा फैसला साबित होगा। यह प्रस्ताव भारत को नए युग में ले जाने वाला है। पृथ्वी का 70 प्रतिशत भाग समुद्र है। समुद्र की एक अपनी दुनिया है। भारत ने आज तय किया कि आने वाले 5 सालों में डीप ऑसियन मिशन पर काम करेगा, जिससे समुद्र की शक्तियों का दोहन किया जा सके। यह ब्लू इकोनॉमी को सपोर्ट करेगा।”
जावड़ेकर ने इस प्रस्ताव के कार्यान्वयन के बारे में बात करते हुए कहा, “एक विशेष प्रकार का सूट होता है, जिसे पहनकर समुद्र में 6000 मीटर नीचे तक जाकर मिनरल्स की स्टडी और खोज की जाती है। भारत का 7000 किलोमीटर से ज्यादा का अपना समुद्री किनारा है, जो 9 राज्यों से जुड़ा है। आपार संभावनाओं वाले इस क्षेत्र में भारत अब डीप ओसियन स्टडी करेगा।”
जावडेकर ने इस प्रोजेक्ट पर बात करते हुए आगे कहा, “ग्लेशियर के टूटने से डीप सी में क्या परिणाम हो रहे हैं। इस प्रोजेक्ट के द्वारा इस पर भी अध्ययन होगा। आज तक भारत में गहरे समुद्र का सर्वे मिनरल्स की दृष्टि से नहीं हुआ था। साथ ही एक एडवांस मरीन स्टेशन भी स्थापित होगा। जिससे ओसियन बायोलॉजी का अध्ययन होगा, जो उद्योगों के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। समुद्र में थर्मल एजेंसी स्थापित होगी।”
डीप ओशन क्षेत्र में संभावनाओं के बारे में उन्होंने बताया कि अभी दुनिया के पांच देशों में ही यह तकनीक है। इसकी तकनीक खुले तौर पर बाजार में नहीं मिलती, खुद को विकसित करना पड़ता है। यह एक तरह से आत्मनिर्भर भारत का भी आविष्कार है। यह मिशन भारत को शोध की दुनिया में नए युग में ले जाने वाला है। उम्मीद है कि 'डीप ओशन मिशन' के द्वारा भारत समुन्द्र के गहराइयों में नई ऊंचाइयां ढूंढ लेगा।